देश में लगातार बढ़ती प्रदूषण की समस्या के बाद सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ फोकस कर रही है. हाल ही में जापान की टू-व्हीलर निर्माता कंपनी ओकिनावा (okinawa) ने स्कूटर ‘प्रेज’ पेश किया है.
देश में लगातार बढ़ती प्रदूषण की समस्या के बाद सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ फोकस कर रही है. हाल ही में जापान की टू-व्हीलर निर्माता कंपनी ओकिनावा (okinawa) ने स्कूटर ‘प्रेज’ पेश किया है. इस स्कूटर के बारे में कंपनी का दावा है कि यह 1 रुपए में 10 किमी की दूरी तय करेगा. उम्मीद की जा रही है इसकी दिल्ली में बिक्री जनवरी से शुरू हो जाएगी. लॉन्चिंग के बाद ही इस इलेक्ट्रिक स्कूटर को यूजर्स का जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है. इलेक्ट्रिक व्हीकल से प्रदूषण कम होने के साथ ही इसका प्रति किमी खर्च भी कम आता है.
ऐसे में आजकल हर कोई इलेक्ट्रिक वाहन में रुचि दिखा रहा है. ऑटो विशेषज्ञों का भी कहना है कि आने वाला समय इलेक्ट्रिक वाहनों का ही होगा. ऐसे में हर कंपनी इलेक्ट्रिक वाहनों के सेग्मेंट में कदम रख रही है. पिछले दिनों टाटा की नैनो की भी इलेक्ट्रिक वर्जन में आने की भी खबर आई थी. अब देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी मारुति ने इलेक्ट्रिक कार पर काम शुरू कर दिया है. बिजली से चलने वाली मारुति की पहली इलेक्ट्रिक कार 2020 तक बाजार में आएगी.
इससे पहले भारत सरकार की तरफ से घोषणा की गई थी 2030 के बाद से भारत में केवल इलेक्ट्रिक वाहनों की ही बिक्री करने की इजाजत मिलेगी. मारुति ने गुरुवार को कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को लोगों की जेब के अनुरुप बनाने में सरकार की मदद जरूरी होगी. खासतौर पर बैट्री निर्माण और ढांचागत सुविधाओं के निर्माण में सरकार की तरफ से प्रोत्साहन की जरूरत होगी.
मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने गुरुवार को कहा कि कंपनी साल 2020 तक देश में अपना पहली इलेक्ट्रिक कार को पेश कर देगी. कंपनी का प्लान है कि कार को चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ लॉन्च किया जाएगा. इलेक्ट्रिक कार को कंपनी टोयोटा की पार्टनरशिप में लॉन्च करेगी. उन्होंने इस मौके पर यह भी कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए सरकारी प्रोत्साहनों की जरूरत होगी. गौरतलब है कि देश में पर्यावरण अनुकूल मोबिलिटी समाधानों पर जोर दिया जा रहा है.
मारुति इलेक्ट्रिक वाहनों पर ग्राहकों की राय जानने के लिए अध्ययन कराएगी. भार्गव ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन की कीमत एक प्रमुख चुनौती है. ऐसे वाहनों की सफलता के लिए जरूरी है कि बैटरियों व अन्य कलपुर्जों का निर्माण भारत में ही करने पर ध्यान केंद्रित किया जाए ताकि उनकी लागत कम हो.