बिजली मंत्रालय के लिए 2018 में क्षेत्र में सुधारों को लागू करने की होगी चुनौती

बिजली मंत्रालय के लिए 2018 में क्षेत्र में सुधारों को लागू करने की होगी चुनौती

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विद्युत मंत्रालय ने सभी घरों को बिजली पहुंचाने के साथ मार्च 2019 से सातों दिन 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा है.

हर गांव, हर घर बिजली पहुंचाने तथा 2019 से सभी को सातों दिन 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने के केंद्र सरकार के महत्वकांक्षी लक्ष्यों के साथ इस वर्ष सुर्खियों में रहे विद्युत मंत्रालय के लिये सरकार के वादों को पूरा करने में अगला साल भी व्यस्तता भरा रह सकता है. नए वर्ष में मंत्रालय के समक्ष बिजली संशोधन विधेयक को संसद में पारित कराने के साथ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सुधारों को लागू करने की बड़ी चुनौती होगी. बिजली संशोधन विधेयक को संसद के आगामी बजट सत्र में पारित कराने का विचार है. इसमें बिजली खरीद समझौते (पीपीए) को कड़ाई से लागू करने, अक्षय ऊर्जा खरीद बाध्यता को सांविधिक बनाने तथा स्मार्ट मीटर/प्रीपेड मीटर को अनिवार्य करने जैसे कई महत्वपूर्ण प्रावधान प्रस्तावित हैं.

मंत्रालय बिजली वितरण और आपूर्ति (कंटेंट एवं कैरेज) कारोबार को भी अलग करने की योजना बना रहा है ताकि ग्राहकों को अपने क्षेत्र में एक से अधिक बिजली वितरण कंपनियों के बीच चुनाव करने का विकल्प मिले. माना जा रहा है कि इन सभी सुधारों को लागू करने के लिये सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ संबंधित पक्षों के बीच सहमति एक चुनौती होगी. इस बारे में बिजली मंत्री आर. के. सिंह ने हाल में कहा था, ‘‘हम बिजली संशोधन विधेयक पर काम कर रहे हैं और इसे संसद के बजट सत्र में पारित कराने की कोशिश करेंगे.’’ गुजरते वर्ष में मंत्रालय के काम को देखा जाए तो दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत इस साल नवंबर तक विद्युत से वंचित 3,652 गांवों में बिजली पहुंचायी जा सकी. कुल मिलाकर अबतक बिजली से वंचित 18,452 गांवों में से 15,183 गांवों में बिजली पहुंचायी जा चुकी है.

बचे हुए कुल 3,269 गांवों में 1,052 गांव ऐसे हैं जहां कोई नहीं रहता. शेष 2217 गांव हैं जहां बिजली पहुंचायी जानी है. इस काम को एक मई 2018 तक पूरा किये जाने की उम्मीद है. मंत्रालय गांवों के साथ सभी घरों को बिजली पहुंचाने के लिये इस साल सितंबर में 16,320 करोड़ रुपये की लागत वाली सौभाग्य योजना (प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना) शुरू कर भी चर्चा में रहा. इस योजना के तहत 31 मार्च 2019 तक बिजली से वंचित लगभग चार करोड़ परिवार को विद्युत उपलब्ध कराने का लक्ष्य है. योजना के तहत केंद्र सरकार 12,320 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन उपलब्ध कराएगी. साथ ही ग्रामीण इलाकों में एसईसीसी (सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना) 2011 के आंकड़ों के आधार पर गरीब परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराया जाएगा.

विद्युत मंत्रालय ने सभी घरों को बिजली पहुंचाने के साथ मार्च 2019 से सातों दिन 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा है. इसके तहत एकीकृत ऊर्जा विकास योजना (आईपीडीएस) चलायी जा रही है जिसका मकसद शहरी क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण और भरोसेमंद 24X7 निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रदान करना है. अब तक, 3,616 शहरों के लिए कुल 26,910 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गयी है. राज्यों से संबंधित संस्थाओं को 23,448 करोड़ रुपये मूल्य का कार्य दिया गया है.

चालू वर्ष के दौरान बिजली वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार तथा उसे पटरी पर लाने की उदय (उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस स्कीम) एवं पारेषण व्यवस्था को मजबूत करने पर भी जोर बना रहा. नागालैंड, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, दादर नागर हवेली और दमन एवं दीव के नवंबर 2017 में उदय योजना से जुड़ने के साथ अबतक कुल 27 राज्य और चार केंद्र शासित प्रदेश इससे जुड़ गये हैं. उदय के अंतर्गत प्रतिभागी राज्यों के कार्य-प्रदर्शन की गहन निगरानी सुनिश्चित करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी निगरानी समिति कार्यप्रणाली स्‍थापित की गई है.

देश भर में बिजली की कुल स्थापित क्षमता नवंबर तक 3,31,118 मेगावाट पहुंच गयी है जो दिसंबर 2016 में 3,10,005 मेगावाट थी. इसी तरह इस वर्ष अक्तूबर के अंत तक बिजली उत्पादन 714 अरब यूनिट रहा जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले लगभग 4.33 प्रतिशत अधिक है. पराली या खेतों में फसलों की बची डंठल जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण को लेकर जारी चिंता के बीच बिजली मंत्रालय बिजली उत्पादन ने बिजली बनाने में बायोमास के उपयोग की नीति जारी की.

इन सबके अलावा मंत्रालय पनबिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर भी जोर दे रहा है और जल्दी ही इस संदर्भ में नीति लाने की तैयारी में है. इस क्षेत्र में कुल 1305 मेगावाट की 11 परियोजनाएं 2017-18 में चालू होने की संभावना है. इसमें से 465 मेगावाट क्षमता की सात परियोजनाएं पहले ही चालू हो चुकी हैं. मंत्रालय अक्षय ऊर्जा के साथ उपकरणों पर लगने वाले स्टार रेटिंग कार्यक्रम, एलईडी बल्ब वितरण जैसे ऊर्जा संरक्षण उपायों, इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद जैसे कार्यक्रमों को लेकर भी पूरे साल चर्चा में रहा. इसके अलावा इस साल मंत्रिमंडल फेरबदल में बिजली तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की जिम्मेदारी पीयूष गोयल की जगह आर के सिंह को दी गयी. गोयल को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गयी.

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