निचली अदालत ने 14 नवम्बर को एसबीएल के निदेशकों नितिन और चेतन संदेसारा के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किये थे.
प्रवर्तन निदेशालय ने गुजरात की फार्मा कंपनी से जुड़े 5,000 करोड़ रुपये के धन शोधन मामले में दिल्ली के कारोबारी गगन धवन के खिलाफ अपनी जांच के संबंध में 1.17 करोड़ रुपये का एक प्लॉट शनिवार (23 दिसंबर) को कुर्क कर लिया. जांच एजेंसी ने बताया कि उसने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं के तहत गुरुग्राम में डीएलएफ सिटी फेस-3 में स्थित 336 वर्ग मीटर के एक प्लॉट को कुर्क करने का अंतरिम आदेश जारी किया. ईडी ने बताया कि उसने यह संपत्ति धन शोधन में लिप्त पाई और यह प्लॉट इस मामले में बैंक कर्ज की कथित हेराफेरी के अपराध से खरीदा गया.
ईडी ने कहा कि मामले के तथ्य यह उजागर करते हैं कि धन शोधन में संलिप्त राशि विभिन्न बैंकों के लेनदेन से छिपाई गई थी और एक जगह एकत्रित की गई. इसके बाद धवन ने उसका इस्तेमाल अचल संपत्ति को खरीदने और उसमें अधिकार पाने के लिए किया था तथा यह दिखाया था कि यह बेदाग संपत्ति है. एजेंसी ने इन आरोपों पर धवन को एक नवंबर को गिरफ्तार किया था और वह कुछ शीर्ष नेताओं के साथ अपने कथित संपर्कों को लेकर ईडी की जांच के दायरे में है.
ईडी ने आरोप लगाया था कि धवन ने कई संपत्तियों को खरीदने में गुजरात की फार्मा फर्म स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड (एसबीएल) के निदेशकों की मदद की थी और कई बैंकों की क्रेडिट सुविधाओं के दुरुपयोग में मदद की थी और इस दौरान कुल पांच हजार करोड़ रुपये के कालेधन को वैध बनाया गया. ईडी ने दावा किया, ‘‘एसबीएल समूह से आरोपी ने 1.5 करोड़ रुपये प्राप्त किये थे.’’ निचली अदालत ने 14 नवम्बर को एसबीएल के निदेशकों नितिन और चेतन संदेसारा के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किये थे.
एजेंसी ने अदालत को बताया था कि संदेसारा देश छोड़ सकता है. धवन को कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया था जिसमें धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत एसबीएल को शामिल किया गया था. सीबीआई ने कथित बैंक धोखाधड़ी मामले के सिलसिले में स्टर्लिंग बायोटेक, उसके निदेशकों चेतन जयंतीलाल संदेसारा, दीप्ति चेतन संदेसारा, राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित, नितिन जयंतीलाल संदेसारा और विलास जोशी, चार्टर्ड एकाउटेंट हेमंत हाती, आंध्र बैंक के पूर्व निदेशक अनूप गर्ग और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि 31 दिसम्बर 2016 तक इन समूहों कंपनियों पर 5,383 करोड़ रुपये का कुल देय लंबित है. ईडी ने इस प्राथमिकी पर संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था.