रेलवे ने दो वर्षों में बिजली बिलों में लगभग पांच हजार करोड़ रुपये बचाए

रेलवे ने दो वर्षों में बिजली बिलों में लगभग पांच हजार करोड़ रुपये बचाए

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भारतीय रेल को खुली पहुंच व्‍यवस्‍था के अंतर्गत सामान्‍य कारोबार (बीएयू) मोड में प्रत्यक्ष रूप से बिजली खरीदने से अप्रैल 2015 से अक्‍टूबर 2017 तक 5636 करोड़ रुपये की संचयी बचत हुई है

रेलवे को अप्रैल 2015 से अक्तूबर 2017 तक बिजली बिलों में 5,636 करोड़ रुपये की बचत हुई है. रेल मंत्रालय ने आज बताया कि इन मदों में अनुमानित बचत से संकेत मिलता है कि अगले दस वर्षो में 41 हजार करोड़ रुपये की बचत हो सकती है. भारतीय रेल को खुली पहुंच व्‍यवस्‍था के अंतर्गत सामान्‍य कारोबार (बीएयू) मोड में प्रत्यक्ष रूप से बिजली खरीदने से अप्रैल 2015 से अक्‍टूबर 2017 तक 5636 करोड़ रुपये की संचयी बचत हुई है.

मंत्रालय ने बताया कि यह आंकड़ा चालू वित्‍त वर्ष के अंत तक बढ़कर 6,927 करोड़ रुपये हो सकता है जो निर्धारित लक्ष्‍य से लगभग एक हजार करोड़ रुपये अधिक है. रेलवे वर्तमान में बिजली सात राज्‍यों महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, हरियाणा तथा कर्नाटक तथा दामोदर घाटी निगम क्षेत्र में खुली पहुंच व्‍यवस्‍था के अंतर्गत ले रहा है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पांच और राज्य बिहार, उत्‍तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और तेलंगाना खुली पहुंच व्‍यवस्‍था के माध्‍यम से बिजली प्रवाह के लिए रेलवे को अनुमति देने पर सहमत हो गये है. यह कार्य अगले वर्ष तक शुरू हो सकता है. बयान में कहा गया कि इन मदों में अनुमानित बचत से संकेत मिलता है कि 10 वर्षों (2015-2025) में इन कदमों से बिजली बिल में 41,000 करोड़ रूपये की बचत होगी.

फिलहाल भारतीय रेल की लगभग दो हजार मेगावाट की कुल आवश्‍यकता में से विद्युत ट्रैक्‍शन बिजली एक हजार मेगावाट से अधिक खुली पहुंच व्‍यवस्‍था के तहत प्राप्‍त की जा रही है. इससे इन राज्‍यों में बिजली की औसत लागत में कमी आई है. इन राज्‍यों में खुली पहुंच व्‍यवस्‍था के अंतर्गत पहले के मूल्‍य सात रुपये प्रति यूनिट की तुलना में मूल्‍य पांच रुपये प्रति यूनिट है.

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