कच्चे तेल के बढ़ते दाम और ग्लोबल संकट की वजह से लोगों पर महंगाई की मार पड़ सकती है. फिलहाल नायमैक्स पर डब्ल्यूटीआई क्रूड 59.7 डॉलर पर कारोबार कर रहा है. ब्रेंट क्रूड 66.5 डॉलर पर नजर आ रहा है.
पेट्रोल-डीजल के सस्ते होने का इंतजार कर रहे लोगों को बड़ा झटका लगने वाला है. जल्द ही पेट्रोल के दाम घटने के बजाए बढ़ने वाले हैं. एक रिपोर्ट की मानें तो पेट्रोल की कीमतें 80 रुपए के पार जा सकती है. वहीं, डीजल में भी आग लगने वाली है, इसकी कीमत 65 रुपए तक जाने की संभावना है. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें अपने 3 साल के उच्चतम स्तर के आसपास बनी हुई है. जनवरी 2015 के बाद पहली बार कच्चा तेल 66.5 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. कच्चे तेल के बढ़ते दाम और ग्लोबल संकट की वजह से लोगों पर महंगाई की मार पड़ सकती है. फिलहाल नायमैक्स पर डब्ल्यूटीआई क्रूड 59.7 डॉलर पर कारोबार कर रहा है. ब्रेंट क्रूड 66.5 डॉलर पर नजर आ रहा है.
3 साल की ऊंचाई पर कच्चा तेल
जनवरी 2015 में कच्चा तेल 65 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचा था. सरकार ने इस साल की शुरुआत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती की थी. दरअसल, उस वक्त कच्चा तेल 55 डॉलर प्रति बैरल था, जो जून में लुढ़कर 44 डॉलर तक आ गया था. लेकिन, पिछले दो महीने से कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है. अगर, जून 2017 के बाद की बात करें तो कच्चे तेल की कीमत में 38 फीसदी का इजाफा हो चुका है. डब्ल्यूटीआई क्रूड (यूएस वैस्ट टैक्सास इंटरमीडिएट) की कीमत भी इन दिनों 59.7 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है. जून के बाद से डब्ल्यूटीआई क्रूड 30 फीसदी महंगा हुआ है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती के बजाए बढ़ने की उम्मीद है.
एक्सपर्ट की नजर में बढ़ेंगे दाम
सीनियर एनालिस्ट अजय केडिया के मुताबिक, 3 साल में कच्चे तेल की कीमतें लगातार उतार-चढ़ाव रहा है. अब क्रूड 3 साल की ऊंचाई पर है तो इसका सीधा असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ेगा. हालांकि, डॉलर इंडेक्स में मजबूती से कीमतों को थोड़ा सहारा मिल सकता है, लेकिन डॉलर इंडेक्स में उतनी तेजी से उतार-चढ़ाव नहीं है. पिछले कुछ समय में रुपया मजबूत जरूर हुआ है, लेकिन वो पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर असर डालने के लिए काफी नहीं है. केडिया के मुताबिक छोटी अवधि में ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 2 रुपए या उससे ज्यादा का इजाफा हो सकता है.
नोमुरा की रिपोर्ट में भी जिक्र
नोमुरा का कहना है कि क्रूड की बढ़ती कीमतों से भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा. क्रूड की कीमतें बढ़ने से वित्तीय घाटा बढ़ने की उम्मीद है. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी तेजी देखने को मिली सकती है. लेकिन, सरकार एक्साइज घटाकर इसे कंट्रोल करने में सक्षम है. वहीं, क्रूड के दामों में इजाफे से रिटेल महंगाई पर भी 0.6-0.7% तक बढ़ सकती है.
नोमुरा की रिपोर्ट में ये जिक्र भी
मिडल ईस्ट में अगले वर्ष तनाव बढ़ने से दुनिया में क्रूड ऑइल के दाम उछल सकते हैं और इसका असर इन्फ्लेशन पर भी हो सकता है. फाइनेंशियल कंपनी नोमुरा ने 2018 के लिए 10 संभावित खराब घटनाओं में मिडल ईस्ट में युद्ध को भी शामिल किया है. ये घटनाएं होने की आशंका अधिक नहीं है, लेकिन अगर ये होती हैं तो इनका अगले वर्ष मार्केट्स पर असर पड़ सकता है. इनमें अमेरिका में महाभियोग का जोखिम और इटली में चुनाव शामिल हैं.
यमन में स्थिति नहीं है अच्छी
नोमुरा के ऐनालिस्ट्स का कहना है कि मिडल ईस्ट में हाल के टकराव की आक्रामक शुरुआत हुई थी, लेकिन बाद में ये धीमे पड़ गए. इनके 2018 में जारी रहने की आशंका है और तनाव बढ़ने से क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा हो सकता है, जिससे तेल के दाम भी बढ़ सकते हैं. इसमें यमन और कतर की मुश्किलें शामिल हैं. यमन में अभी स्थिति काफी खराब है. देश में चल रहे गृह युद्ध में 60,000 से अधिक लोग मारे गए हैं या घायल हुए हैं. यमन में हैजा और अकाल के कारण भी लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
तनाव बढ़ने से क्रूड होगा महंगा
मिडल ईस्ट में तनाव बढ़ने से ग्लोबल क्रूड की कीमतों में तेजी आने की संभावना है और इसका असर वैश्विक महंगाई पर पड़ेगा. अगर ब्रेंट क्रूड की कीमतें मौजूदा स्तर से 30 पर्सेंट बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल पर जाती हैं तो इससे 2018 में अमेरिका और यूरोप में इन्फ्लेशन 0.4-0.9 पर्सेंट बढ़ेगी. जापान में कोर इन्फ्लेशन 1.5 पर्सेंट को पार कर सकती है. अगर क्रूड ऑइल के दाम बढ़ते हैं तो इससे रूस, कंबोडिया, मलयेशिया और ब्राजील को सबसे अधिक फायदा होगा. इससे भारत, चीन, इंडोनेशिया, थाईलैंड, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की को नुकसान उठाना पड़ेगा.