समिति ने रपट में कहा, “यहां तक कि जब मंजूरी बोर्ड को किसी नियम में छूट देना उचित लगाता है तो भी उसे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री की मंजूरी लेनी होती है.
वाणिज्य मंत्रालय की एक समिति ने सुझाव दिया कि विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) को बढ़ावा देने के लिए इकाइयों और डेवलपरों को कुछ नियमों से छूट देने के लिए मंजूरी बोर्ड (बीओए) को अतिरिक्त अधिकार दिए जाने चाहिए. मंजूरी बोर्ड, सेज के लिए निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है. मौजूद सेज नियमों के तहत मंजूरी बोर्ड को किसी भी नियम में छूट देने का अधिकार नहीं है. इस अंतर-मंत्रालयी बोर्ड की अध्यक्षता वाणिज्य सचिव करते हैं. समिति ने रपट में कहा, “यहां तक कि जब मंजूरी बोर्ड को किसी नियम में छूट देना उचित लगाता है तो भी उसे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री की मंजूरी लेनी होती है. अत: जब बोर्ड को ऐसा महसूस हो कि कारोबार और उद्योग के लिए वास्तविक कठिनाई है और सेज नियमों में छूट दिए जाने की आवश्यकता है तो ऐसा करने के लिए नियम में छूट देने के लिए उसे सशक्त होना चाहिए.” समिति की ओर से सुझाए गए अन्य सुझावों में बिक्री कर पंजीकरण के बजाय जीएसटी पंजीकरण प्रमाणपत्र भी शामिल है. समिति ने सेज नियम व्याख्या समिति के गठन के लिए भी कहा है. यह परिचालन को सरल बनाने में मदद करेगा.
सरकार ने कंपनियों को नियम से काम करने का कठोर संदेश देते हुए मंगलवार (26 दिसंबर) को कहा कि नियमों का अनुपालन न करना उन्हें ‘बड़ा महंगा’ पड़ सकता है और कंपनियों का गलत मकसद से इस्तेमाल रोकने के खतरनाक काम पर अंकुश के लिए सशक्त निषेधात्मक उपाय जाएंगे. धन के गैरकानूनी प्रवाह को रोकने के लिए कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने पहले ही 2.24 लाख कंपनियों को बंद कर दिया है. ये कंपनियां लंबे समय से परिचालन में नहीं थीं. इसके अलावा इन कंपनियों से जुड़े तीन लाख से अधिक निदेशकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है. कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा कि कानूनी तरीके से काम कर रही कंपनियों के लिए चीजों को सरल किया गया है. वहीं गैरकानूनी कारोबारी गतिविधियों पर अंकुश के लिए प्रावधान कड़े किए गए हैं.
श्रीनिवास ने कहा, ‘‘अनुपालन करना बहुत आसान, अनुपालन नहीं करना बहुत महंगा होना चाहिए. गैरकानूनी कारोबार के लिए कड़े अंकुश होने चाहिए. जो लोग कंपनियों का इस्तेमाल गलत कार्य के लिए करेंगे उनके लिए यह बहुत खतरनाक कदम होगा.’’ संदिग्ध मुखौटा कंपनियों के खिलाफ वर्तमान में चल रही कार्रवाई पर उन्होंने कहा कि जांच का काम तेजी से किया जा रहा है. श्रीनिवास ने कहा, ‘‘यदि आप अभियोजन के लिए जाते हैं तो यह एक अंकुश का काम करेगा. सजा का प्रावधान आवश्यक रूप से सिर्फ आपराधिक तथा धोखाधड़ी से जुड़े मामलों तक सीमित रहना चाहिए.’’