BS-VI नियम की पूरी ABCD, आपकी जेब और सेहत पर क्‍या होगा असर?

BS-VI नियम की पूरी ABCD, आपकी जेब और सेहत पर क्‍या होगा असर?

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दिल्ली में बीते एक-दो सालों में बढ़ी स्मॉग और प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए इस संबंध में फैसला लिया गया. हालांकि, इससे पहले बीएस-VI ग्रेड के ईंधन की बिक्री 1 अप्रैल 2010 से होनी थी.

वाहनों के ईंधन से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार पेट्रोल और डीजल के मानक में सुधार करने की कोशिश कर रही है. इसके तहत दिल्ली में 1 अप्रैल 2018 से बीएस-IV ग्रेड के पेट्रोल और डीजल के बजाय बीएस-VI ग्रेड का ईंधन मिलेगा. पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा सरकारी तेल कंपनियों से बातचीत के बाद यह फैसला लिया है. दिल्ली में बीते एक-दो सालों में बढ़ी स्मॉग और प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए इस संबंध में फैसला लिया गया. हालांकि, इससे पहले बीएस-VI ग्रेड के ईंधन की बिक्री 1 अप्रैल 2010 से होनी थी. मंत्रालय ने कंपनियों से 1 अप्रैल, 2019 तक एनसीआर के अन्य शहरों में भी बीएस-VI ग्रेड के ईंधन को बेचने की संभावनाएं तलाशने को कहा है. मंत्रालय का कहना है कि इससे दिल्ली और आसपास के शहरों में प्रदूषण की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी.

कार्बन उत्सर्जन में आएगी कमी
पैरिस जलवायु सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ने वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर लगाम लगाने की बात कही थी. इसके बाद से ही इस नियम को लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं. बीएस-6 नियम आने से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी. 1 अप्रैल 2017 से ही पेट्रोलियम मंत्रालय ने पूरे देश में बीएस-IV ग्रेड के पेट्रोल और डीजल की बिक्री शुरू की थी. अब मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोलियम एंड नैचुरल गैस ने भारत स्टेज-6 फ्यूल नॉर्म को 1 अप्रैल 2018 से अमल में लाने का निर्णय लिया है. पहले यह नॉर्म 2020 से लागू किया जाना था. सीएसई ने इस कदम की सराहना करते हुए इसे प्रदूषण को कम करने में मददगार बताया है.

कैसे कम होगा प्रदूषण
पीएम 2.5 की वैल्यू 400 एमजीसीएम जाती है तो उसमें 120 एमजीसीएम से ज्यादा का योगदान वाहनों से होने वाले प्रदूषण कणों से होता है. बीएस-6 फ्यूल आने से पर्टिकुलेट मैटर में इनकी 20 से 40 एमजीसीएम तक ही हिस्सेदारी रहेगी.

न फ्यूल है बीएस-6
सीएसई के मुताबिक, बीएस-6 फ्यूल से सल्फर की मात्रा बीएस-4 से 5 गुना तक कम होगी. यह काफी क्लीन फ्यूल है. इस फ्यूल के इस्तेमाल से सड़कों पर चल रही पुरानी गाड़ियों में भी फैल रहा प्रदूषण कम होगा. बीएस-6 गाड़ियों में भी एडवांस एमिशन कंट्रोल सिस्टम फिट होगा. हालांकि, इसका पूरा लाभ तब मिलेगा, जब गाड़ियां भी पूरी तरह से बीएस-6 टेक्नोलॉजी आधारित तैयार की जाएंगी. सीएसई के मुताबिक, इंडस्ट्री को इस दिशा में कदम आगे बढ़ाने चाहिए.

क्या हैं BS(भारत चरण) के नॉर्म्स ?
वायु प्रदूषण फैलाने वाले मोटर गाड़ियों सहित सभी इंजन वाले उपकरणों के लिए ‘भारत चरण उत्सर्जन मानक’ (BS) की शुरुआत केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 में की थी. इसके विभिन्न मानदंडों को समय और मानकों के अनुसार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर लाया जाता है. भारत चरण (BS) मानदंड यूरोपीय नियमों पर आधारित हैं. ये एमिशन स्टैंडर्ड केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाता है जो गाड़ी में लगे इंजन की प्रदूषण क्षमता को बताता है.

यूरोपियन तर्ज पर आधारित है भारत के इंजन मानक
भारत स्टेज के मानक यूरोपियन मानक यूरो 4 और यूरो 6 पर आधारित है और इसी की तर्ज पर इसे अमल में लाया जाता है. ये मानक दुनिया भर में ऑटोमोबाइल कंपनियां इस्तेमाल करती हैं. इनसे ये पता चलता है कि कोई वाहन वातावरण को कितना प्रदूषित करता है.

यहां होती है बीएस-4 ईंधन की आपूर्ति
वर्तमान में जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान के कुछ हिस्सों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तर भारत में बीएस-4 ईंधनों की आपूर्ति की जा रही है, जबकि देश के बाकी हिस्से में बीएस-3 ईंधन की आपूर्ति की जा रही हैं.

वाहन कंपनियों को घाटा
अभी तक भारतीय बाजार में बीएस-3 मानक वाले वाहन चलते हैं. कंपनियां भी अभी तक बीएस-3 मानक पर भी गाड़ियां तैयार करती हैं. हालांकि, सड़क एवं परिवहन मंत्रालय और पेट्रोलियम मंत्रालय ने वाहन निर्माता कंपनियों को बीएस-4 मानक के वाहन तैयार करने को कहा था. हालांकि, कुछ ही कंपनियों ने अपने मॉडल्स को अपग्रेड किए हैं. बीएस-3 मानक वाला स्टॉक अब भी कंपनियों के पास है. ऐसे में अब बीएस-6 मानक को ध्यान में रखते हुए वाहन तैयार करना कंपनियों के लिए मुश्किल है. जानकारों की मानें तो इससे कंपनियों को बड़ा घाटा होगा. कंपनियों को बीएस-4 मानक आधारित गाड़ियां बनाने में ही समय लग रहा है. ऐसे में बीएस-6 दूर की कौड़ी नजर आता है.

नया फ्यूल कितना महंगा होगा
2020 की डेडलाइन के मुताबिक ज्यादा सव्च्छ पेट्रोल-डीजल बनाने के लिए ऑयल रिफाइनरियों को 28000 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा. हालांकि, फ्यूल कितना महंगा होगा या नहीं होगा यह उस वक्त क्रूड (कच्चा तेल) की कीमतों पर निर्भर करेगा.

आम आदमी पर कितना होगा असर
आपको बता दें कि तमाम बड़ी ऑटो कंपनियों ने बीएस 4 मानकों के अनुरूप इंजन को डेवलप कर या तो पुराने मॉडल की गाड़ियों को रीलॉन्च कर दिया है या फिर पुराने मॉडल को खत्म कर दिया है. इसका आम आदमी पर सीधा असर ये होगा कि अब उन्हें किसी भी कंपनी का एंट्री मॉडल पहले की तुलना में महंगा मिलेगा. वहीं स्वास्थ्य के तौर पर ये गाड़ियां पहले की अपेक्षा बेहतर साबित होंगी. हालांकि सरकार का लक्ष्य बीएस 6 मॉडल को देश में लागू करवाना है जिसमें अभी वक्त लगेगा.

भविष्य में संभावनाएं
1 अप्रैल 2017 से बीएस 4 मानक वाले वाहनों को खरीदने के लिए आम आदमी को पहले से ज्यादा खर्च करना होगा. इसके साथ ऑटोमोटिव सेक्टर का लक्ष्य 2020 तक बीएस 6 तक पहुंचना भी है. लेकिन, इसके लिए काफी पैसों की जरूरत पड़ेगी. वहीं ऑयल रिफाइनरीज को भी इस लायक बनाना होगा ताकि वो उच्च गुणवत्ता वाले तेल का निर्माण कर सकें. साथ ये भी सुनिश्तित करना होगा कि ये देश में आसानी से उपलब्ध हों. साथ ही वाहन निर्माता कंपनियों को भी अपनी तरह से बड़ा निवेश करना होगा ताकि वो जल्दी से जल्दी इस दिशा में आगे बढ़ सकें.

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