इस बार नवंबर में रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात तथा सीमेंट क्षेत्र की वृद्धि दर सालाना आधार पर क्रमश: 8.2 प्रतिशत, 16.6 प्रतिशत तथा 17.3 प्रतिशत रही.
आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर नवंबर, 2017 में 6.8 प्रतिशत रही. यह एक साल से अधिक का उच्चस्तर है. एक साल पहले इसी माह में इन उद्योगों की उत्पादन वृद्धि 3.2 प्रतिशत थी. रिफाइनरी, इस्पात और सीमेंट जैसे क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन की वजह से बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर बढ़ी है. बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अक्तूबर, 2016 के बाद सबसे अधिक रही है. उस समय बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रही थी. रिफाइनरी, इस्पात तथा सीमेंट जैसे क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन से बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अच्छी रही. बुनियादी उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट तथा बिजली उत्पादन को रखा गया है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार इस बार नवंबर में रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात तथा सीमेंट क्षेत्र की वृद्धि दर सालाना आधार पर क्रमश: 8.2 प्रतिशत, 16.6 प्रतिशत तथा 17.3 प्रतिशत रही.
आलोच्य महीने में कच्चा तेल तथा प्राकृतिक गैस के उत्पादन में भी वृद्धि हुई है. दूसरी तरफ कोयला उत्पादन कम हुआ. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के आठ महीनों बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर कुछ नरम होकर 3.9 प्रतिशत रही. पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसी दौरान इनकी सम्मिलित तौर पर वृद्धि 5.3 प्रतिशत थी. प्रमुख क्षेत्रों में अच्छी वृद्धि से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि कुल आद्यौगिक उत्पादन में आठ बुनियादी उद्योगों की हिस्सेदारी करीब 41 प्रतिशत है.
आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग ने बुनियादी उद्योगों की 6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर को उल्लेखनीय बढ़ोतरी बताया है. उन्होंने ट्वीट किया कि नवंबर में इस्पात और सीमेंट क्षेत्रों का उत्पादन क्रमश: 16.6 और 17.3 प्रतिशत बढ़ा है जो इस बात का संकेत है कि इन क्षेत्रों में उत्पादन नोटबंदी से पहले के स्तर पर पहुंच गया है.
वहीं दूसरी ओर औद्योगिक कामगारों के लिए नवंबर 2017 में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 3.97 प्रतिशत पर पहुंच गई. खाद्य वस्तुओं, मिट्टी का तेल और रसोई गैस की बढ़ी कीमतें इसके लिए जिम्मेदार रहीं. श्रम मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “नवंबर 2017 के लिए सीपीआई-आईडब्ल्यू (औद्योगिक कामगारों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) के सालाना आधार पर मापी गई मुद्रास्फीति 3.97 प्रतिशत रही, जो अक्तूबर 2017 में 3.24 प्रतिशत और नवंबर 2016 में 2.59 प्रतिशत थी.” बयान के मुताबिक, नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति 3.91 प्रतिशत रही, जबकि अक्तूबर में यह 2.66 प्रतिशत और नवंबर 2016 में 1.66 प्रतिशत थी. नवंबर में सीपीआई-आईडब्ल्यू में एक अंक की वृद्धि हुई और यह 288 पर रहा.
मौजूदा सूचकांक में अधिकतम दबाव खाद्य समूह के कारण आया. इस दौरान आटा, अंडा (मुर्गी), मांस, दूध, प्याज, इमली, करेला, बंदगोभी, गाजर, नारियल, आलू, टमाटर, रसोई गैस, बिजली का शुल्क, जलाने की लकड़ी, मिट्टी का तेल, निजी ट्यूशन फीस, पेट्रोल की कीमतें बढ़ी और नाई की दुकान पर जाना महंगा हुआ. इस दौरान हालांकि, अरहर दाल, चने की दाल, मसूर दाल, उड़द दाल, मूंगफली तेल, ताजा मछली, मुर्गी पालन, हरी मिर्च, लहसुन, अदरक, बैंगन, फूलगोभी, फ्रेंच बीन, हरा धनिया की पत्तियां, मेथी, पालक, मूली, सेब, केले आदि के दाम एक साल पहले की तुलना में कम हुए.
केंद्रीय स्तर पर गिरीडीह में सीपीआई- आईडब्ल्यू में अधिकतम बढ़ोत्तरी (सात अंक) रही. इसके बाद सलेम और पुद्दुचेरी (छह अंक) और राउरकेला, शोलापुर, मिरकारा और गाजियाबाद में (पांच अंक) की वृद्धि दर्ज की गयी. इसके अलावा पांच केंद्रो पर चार अंकों की वृद्धि, 16 केंद्रों पर 3 अंक, 13 केंद्रों पर 2 अंक और 12 केंद्रों पर 1 अंक की वृद्धि दर्ज की गई. इसके विपरीत कोलकाता में अधिकतम 3 अंकों की कमी और इसके बाद मुंगेर-जमालपुर, अमृतसर, चंडीगढ़ और दुमदुमा तिनसुकिया में 2-2 अंकों की कमी दर्ज की गयी. 7 केंद्रों पर 1 अंक की कमी और शेष 13 केंद्रों पर कोई बदलाव दर्ज नहीं किया गया.