सरकार के श्रम सुधारों को 2018 में आगे बढ़ाने की उम्मीद

सरकार के श्रम सुधारों को 2018 में आगे बढ़ाने की उम्मीद

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श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 44 से अधिक श्रम कानूनों को चार वृहद संहिताओं में एकीकृत किया है. यह संहिताएं पारिश्रमिक, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाज की परिस्थितियों में विभाजित की गई हैं.

वर्ष 2019 में होने वाले आम चुनाव के बावजूद सरकार का रुख 2018 में श्रम सुधारों के प्रति दृढ़ दिख रहा है. उम्मीद है कि नए साल में सरकार वेतन और औद्योगिक संबंधों से जुड़ी संहिताओं के कम से कम दो विधेयकों को संसद से पारित करा लेगी. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 44 से अधिक श्रम कानूनों को चार वृहद संहिताओं में एकीकृत किया है. यह संहिताएं पारिश्रमिक, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाज की परिस्थितियों में विभाजित की गई हैं. श्रम सचिव एम. सत्यवती ने कहा कि सरकार की इच्छा इन चारों संहिताओं को अगले साल संसद में पेश करने की है.

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार श्रम सुधारों पर पीछे नहीं हटेगी. चारों संहिताओं को 2018 में आगे बढ़ाया जाएगा.’’ श्रम कानूनों को चार संहिताओं में रखे जाने से परिभाषाओं एवं प्राधिकारियों के विविधीकरण को हटाया जा सकेगा. यह श्रम कानूनों के अनुपालन को आसान बनाएगा. साथ ही श्रमिकों और कर्मचारियों की पारिश्रमिक और सामाजिक सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगा. पारिश्रमिक संहिता विधेयक-2017 के मसौदे को अगस्त 2017 में लोकसभा में पेश किया गया था. इस पर लोकसभा में विचार-विमर्श के बाद 2018 में इसे राज्यसभा में भी आगे बढ़ाया जाएगा.

यह संहिता चार श्रम कानूनों , न्यूनतम वेतन अधिनियम-1948, वेतन भुगतान अधिनियम-1936, बोनस भुगतान अधिनियम-1965 और समान मेहनताना अधिनियम-1976 के नियमों को तार्किक और सरल बनाएगा. इसी तरह औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक को वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह ने अनुमति दे दी है. इसे जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में पेश किया जाएगा ताकि अगले साल इसे संसद में पारित कराया जा सके. औद्योगिक संबंध संहिता में श्रमिक संघ अधिनियम-1926, औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम-1946 और औद्योगिक विवाद अधिनियम-1947 का एकीकरण किया गया है.

श्रमिक संघों ने विधेयक में प्रस्तावित एक संशोधन पर एतराज जताया है जिसके अनुसार 300 कर्मचारियों तक की संख्या वाली इकाइयों को सरकार की अनुमति के बिना छंटनी और बरखास्तगी करने और कोई इकाई बंद करने का अधिकार मिल जाएगा. अभी यह अधिकार सिर्फ 100 कर्मचारियों तक की संख्या वाली इकाइयों को है. इसी प्रकार औद्योगिक संबंध कानूनों को संहिताबद्ध करने से कारोबारियों को बिना बताए नियुक्ति या बरखास्तगी का अधिकार नहीं मिलेगा.

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