सर्वे की मानें तो, 'बजट में इनकम टैक्स दायरे, टैक्स की दरें हो सकती हैं नरम'

सर्वे की मानें तो, ‘बजट में इनकम टैक्स दायरे, टैक्स की दरें हो सकती हैं नरम’

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सर्वेक्षण में करीब 59 प्रतिशत ने कहा कि विभिन्न प्रकार की अब अप्रासंगिक हो चुकी कटौतियों की जगह एक मानक कटौती होनी चाहिए जिससे कर्मचारियों के ऊपर कर दबाव कम होगा.

सरकार आगामी बजट में आयकर के स्तर तथा दरों में संशोधन कर सकती है, ताकि आम लोगों पर दबाव कम किया जा सके. वित्तीय परामर्श सेवा कंपनी ईवाय के एक बजट पूर्व सर्वेक्षण में 69 प्रतिशत लोगों की राय है कि कर छूट का स्तर बढ़ाना चाहिए ताकि लोगों के पास खर्च करने को ज्यादा आय बचे. सर्वेक्षण में करीब 59 प्रतिशत ने कहा कि विभिन्न प्रकार की अब अप्रासंगिक हो चुकी कटौतियों की जगह एक मानक कटौती होनी चाहिए जिससे कर्मचारियों के ऊपर कर दबाव कम होगा.

इस सर्वेक्षण में 150 मुख्य वित्त अधिकारियों, कर प्रमुखों व वरिष्ठ वित्त पेशेवरों ने भाग लिया और यह जनवरी में हुआ. करीब 48 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें वित्त मंत्री द्वारा कॉर्पोरेट कर कम किये जाने की उम्मीद है, लेकिन उन्हें लगता है के उपकर जारी रहेंगे. करीब 65 प्रतिशत लोगों का अनुमान है कि लाभांश पर कर व्यवस्था में बदलाव किए जा सकते हैं. ईवाय ने कहा, ‘‘बजट पूर्व सर्वेक्षण में पता चलता है कि कर नीतियां स्थिर एवं सतत होगी तथा कर ढांचे में सुधार होगा.’’

मोदी सरकार के अगले बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिल सकती है. वर्ष 2018-19 के आगामी आम बजट में सरकार कर छूट सीमा बढ़ाने के साथ साथ कर स्लैब में भी बदलाव कर सकती है. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय के समक्ष व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये करने का प्रस्ताव है. हालांकि, छूट सीमा को पांच लाख रुपये तक बढ़ाने की समय समय पर मांग उठती रही है. वर्ष 2018-19 का आम बजट मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा.

पिछले बजट में स्लैब में नहीं हुआ था बदलाव
इस बजट में सरकार मध्यम वर्ग को, जिसमें ज्यादातर वेतनभोगी तबका आता है, बड़ी राहत देने पर सक्रियता के साथ विचार कर रही है. सरकार का इरादा है कि इस वर्ग को खुदरा मुद्रास्फीति के प्रभाव से राहत दी मिलनी चाहिये. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले बजट में आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन छोटे करदाताओं को राहत देते हुये सबसे निचले स्लैब में आयकर की दर 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी थी. सबसे निचले स्लैब में ढाई लाख से लेकर पांच लाख रुपये सालाना कमाई करने वाला वर्ग आता है.

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