गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली आज सुबह 11 बजे संसद में 2018-19 का आम बजट पेश करेंगे जो उनकी सरकार का पांचवां और संभवत: सबसे कठिन बजट होगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली आज देश का 88वां बजट पेश करेंगे. सुबह 11 बजे संसद में वित्त मंत्री अपनी बजट पोटली खोलेंगे, जिसमें आम आदमी के साथ-साथ सभी क्षेत्रों को राहत मिलने की उम्मीद है. बजट पेश होने से पहले वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने मीडिया से बातचीत करते हुए संकेत दिए कि बजट कैसा रहेगा? वित्त राज्यमंत्री ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए कहा कि यह एक अच्छा बजट होगा. यह आम लोगों के लिए लाभकारी बजट होगा.
गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली आज सुबह 11 बजे संसद में 2018-19 का आम बजट पेश करेंगे जो उनकी सरकार का पांचवां और संभवत: सबसे कठिन बजट होगा. इस बजट में जेटली को राजकोषीय लक्ष्यों को साधने के साथ कृषि क्षेत्र के संकट, रोजगार सृजन व आर्थिक वृद्धि को गति देने की चुनौतियों का हल ढूंढना होगा. यह बजट ऐसे समय में पेश किया जा रहा है, जबकि आने वाले महीनों में आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें से तीन प्रमुख राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकारें हैं. अगले साल आम चुनाव भी होने हैं.
It will be a good budget. It will be for the benefit of the common people: Shiv Pratap Shukla, MoS, Finance #UnionBudget2018 #Delhi pic.twitter.com/HAjqTT2PxR
— ANI (@ANI) February 1, 2018
बजट में नई ग्रामीण योजनाएं आ सकती हैं तो मनरेगा, ग्रामीण आवास, सिंचाई परियोजनाओं व फसल बीमा जैसे मौजूदा कार्यक्रमों के लिए आवंटन में बढ़ोतरी भी देखने को मिल सकती है. गुजरात में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में देखने को मिला कि भाजपा का ग्रामीण वोट बैंक छिटक रहा है, जिसे ध्यान में रखते हुए जेटली अपने बजट में कृषि क्षेत्र के लिए कुछ प्रोत्साहन भी ला सकते हैं.
इसी तरह लघु उद्योगों के लिए भी रियायतें आ सकती हैं, क्योंकि इस खंड को भाजपा के प्रमुख समर्थक के रूप में देखा जाता है. जेटली माल व सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन से इस वर्ग को हुई दिक्कतों को दूर करने के लिए कुछ कदमों की घोषणा कर सकते हैं.
इसके साथ ही आयकर छूट सीमा बढ़ाकर आम आदमी को कुछ राहत देने का प्रयास भी बजट में किया जा सकता है. राजमार्ग जैसी ढांचागत परियोजनाओं के साथ साथ रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए अधिक आवंटन किया जा सकता है, लेकिन इसके साथ ही जेटली के समक्ष बजट घाटे को कम करने की राह पर बने रहने की कठिन चुनौती भी है. अगर भारत इस डगर से चूकता है तो वैश्विक निवेशकों व रेटिंग एजेंसियों की निगाह में भारत की साख जोखिम में आ सकती है.