अक्सर ऐसा देखा गया है कि नगर निकायों की दुकानों और मकान में सालों से किराए पर रहने वाले लोग न तो इन्हें खाली करते हैं और न बाजार रेट के अनुसार किराया देते हैं.
यदि आपने भी नगर निगम या नगर पालिका की दुकान/ मकान मामूली किराए पर लिया हुआ है तो यह खबर आपके लिए उम्मीद जगा सकती है. अक्सर ऐसा देखा गया है कि नगर निकायों की दुकानों और मकान में सालों से किराए पर रहने वाले लोग न तो इन्हें खाली करते हैं और न बाजार रेट के अनुसार किराया देते हैं. किराएदार को मकानमालिक बनाने वाले इस नियम को हरियाणा सरकार की तरफ से मंजूरी भी मिल चुकी है. इसके बाद नगर निगम अधिनियम में संशोधन कर इस प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाया जाएगा.
दरअसल हरियाणा के अलग-अलग शहरों में नगर निकायों की ऐसी हजारों दुकानें और मकान हैं जिनपर किराएदार वर्षों से कब्जा जमाए बैठे हैं. ऐसे में अब राजय सरकार नगर निगम अधिनियम 1994 की धारा 164 (सी) में संशोधन करने की तैयारी कर रही है. इसके बाद हरियाणा के शहरीनिकायों की प्रॉपर्टी में सालों से मामूली किराया देने वाले लोग जल्द ही मकान-दुकान के मालिक बनेंगे.
राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में बुधवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर मुहर लगाई गई. प्रदेश सरकार के इस फैसले से 20 हजार से ज्यादा लोगों को फायदा मिलेगा. इसके तहत यह नियम होगा कि नगर निगम केवल 1000 वर्ग गज तक के मकान या दुकान का ही मालिकाना हक किराएदार को ट्रांसफर कर सकेंगे. यदि किसी प्रॉपर्टी का क्षेत्रफल इससे ज्यादा है तो इसका मालिकाना हक देने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी लेनी होगी.
हरियाणा की बीजेपी सरकार की तरफ से यह फैसला लेने के पीछे बड़ा कारण है. सरकार ने पाया कि इस तरह की प्रॉपर्टी से नगर निगमों को किराया काफी कम मिल रहा है और प्रॉपर्टी को खाली कराना भी संभव नहीं हो पा रहा. किराएदार को संपत्ति का मालिकाना हक देने के लिए 500 रुपए मासिक से कम किराया राशि और 20 साल से ज्यादा समय से कब्जा होने की शर्त जोड़ने पर विचार किया जा रहा है.