2018 में भी NPA के सफाई अभियान में लगे रहना होगा RBI को

2018 में भी NPA के सफाई अभियान में लगे रहना होगा RBI को

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आरबीआई उन 40 बड़े खातों पर ध्यान केंद्रित करेगा जो 10,000 अरब रुपये के सकल एनपीए के 40 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार माना गया है.

भारतीय रिजर्व बैंक के लिए 2018 समाप्त हो रहे साल 2017 तरह ही तरह ही रह सकता है. केंद्रीय बैंक को नए साल में भी नीतिगत दरें आरकम करने की मांग करने वालों का शोर सुनाई देता रहेगा, उस मुद्रास्फीति काबू में रखने के लिए बराबर सतर्क रहना होगा और यह आलोचना आगे भी झेलनी पड़ती रहेगी कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि की जरूरत के लिए कुछ नहीं कर रहा. यही नहीं, बैंकिंग क्षेत्र का एनपीए अभी भी बहुत अधिक रहने की वजह से उसे अगले साल भी इसकी सफाई के अभियान में जुटे रहना होगा. दूसरे शब्दों में कहे तो भारतीय रिजर्व बैंक को लोकोक्तियों का ‘ उल्लू ’ बने रहना चाहिए- जैसा कि आरबीआई के वर्तमान वर्नर उर्जित पटल ने कुछ साल पहले कहा था जब वह एक डिप्टी-गवर्नर थे. उन्होंने कहा था, “उल्लू पारंपरिक रूप से बुद्धि का प्रतीक है, इस लिए हम न तो कबूतर (न ही बाज) … बल्कि हम उल्लू हैं और जब दूसरे लोग आराम कर रहे होते हैं तो हम चौकीदारी रहे होते हैं.”

देश के बैंकिंग क्षेत्र में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) यानी वसूल नहीं हो रहे ऋणों का अनुपात सितंबर तिमाही में 10.2 प्रतिशत बढ़कर खतरे के स्तर पर पहुंच गया और अगले साल इसी तिमाही में इसके बढ़कर 11 प्रतिशत होने की उम्मीद है. समाधान के नए उपकरणों विशेषकर ऋणशोधन एवं दिवालिया संहिता को अभी तक सीमित सफलता मिली है और इसे आगे बढ़ाने के लिए अधिक ध्यान देने की जरुरत है.

आरबीआई उन 40 बड़े खातों पर ध्यान केंद्रित करेगा जो 10,000 अरब रुपये के सकल एनपीए के 40 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार माना गया है. एनपीए के विरुद्ध कार्रवाइ में केंद्रीय बैंक को फिलहाल जिंदल स्टील एंड पावर और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज जैसे प्रमुख रिण खातों को लेकर बैंकों से विवाद का सामना करना पड़ेगा. बैंक इन कंपनियों को दिए गए रिणों को मानकों पर एनपीए नहीं बल्कि ठीक ठाक खाता मानने पर जोर दे रहे हैं.

दुर्भाग्य से, मुद्रास्फीति को साधने में आरबीआई और उसके तहत गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के लिए यह साल मिश्रित परिणाम भरा. समिति का यह पहला साल है. 2017 में प्रमुख रेपो दर दो बार 0.25 प्रतिशत घटाई गई, जिसके चलते यह छह साल के निचले स्तर 6 प्रतिशत पर आ गई. हालांकि आखिरी तिमाही में मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ी और मार्च 2018 तक इसके चार प्रतिशत से ऊपर जाने की आशंका है. आरबीआई ने सकल घरेलू वर्धित (जीवीए) की वृद्धि दर के लक्ष्य को पूरे साल के लिए 7.4 प्रतिशत से घटाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है और आगामी मार्च तिमाही में इसके सुधरकर 7.5 प्रतिशत होने की उम्मीद जताई गई थी.

एनपीए की मार जूझ रहे बैंकों को मजूबत करने के लिए सरकार ने सार्वजनिक बैंकों के लिए 2.11 लाख करोड़ के पुनर्पूंजीकरण कार्यक्रम की घोषणा की थी और इसके लिए वह आरबीआई के साथ काम कर रही है. इसके अलावा राजकोषीय घाटा दूसरा क्षेत्र है, जिस पर ध्यान दिया जाना जरुरी है. देश का राजकोषीय घाटा आठ महीने में तय अनुमान से आगे निकल गया है. नवंबर महीने में राजकोषीय घाटा पूरे साल के अनुमान से आगे निकलकर 112 प्रतिशत हो गया है.

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