यह कार्रवाई 900 से ज्यादा केस में की गई. विभाग की तरफ से प्रोविजनल तौर पर जब्त की गई प्रॉपटी में प्लॉट, फ्लैट, दुकानें, ज्वैलरी, वाहन, बैंक डिपॉजिट और एफडी शामिल हैं.
आयकर विभाग ने बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए 3500 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति जब्त की है. यह कार्रवाई 900 से ज्यादा केस में की गई. विभाग की तरफ से प्रोविजनल तौर पर जब्त की गई प्रॉपटी में प्लॉट, फ्लैट, दुकानें, ज्वैलरी, वाहन, बैंक डिपॉजिट और एफडी शामिल हैं. अटैच की गई प्रॉपर्टीज में 2900 करोड़ रुपए से ज्यादा की अचल संपत्ति है. गुरुवार को आयकर विभाग ने बयान जारी कर कहा कि विभाग कालेधन के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखेगा और बेनामी ट्रांजैक्शन के तहत ऐसे एक्शन और होते रहेंगे.
क्या है बेनामी संपत्ति?
बेनामी प्रॉपर्टी से मतलब ऐसी संपत्ति से है जिसका कोई कानूनी मालिक न हो या वह किसी ऐसे व्यक्ति के नाम पर जिसका कोई आधार ही नहीं. विभाग ने मई 2017 में अपने इन्वेस्टिगेशन डायरेक्टरेट्स के तहत 24 डेडिकेटेड बेनामी प्रॉहिबिशन यूनिट्स (बीपीयू) बनाए थे, जिससे कि बेनामी प्रॉपर्टीज के संबंध में तेजी से कार्रवाई की जा सके.
पांच केस में प्रॉपर्टी 150 करोड़ से ज्यादा
आयकर विभाग के मुताबिक, जब्त बेनामी संपत्ति में से पांच मामलों की एसेट वैल्यू 150 करोड़ रुपए से ज्यादा है. वहीं, एक मामले में एक रियल एस्टेट कंपनी की करीब 50 एकड़ जमीन, जिसकी वैल्यू 110 करोड़ से ज्यादा है. यह संपत्ति ऐसे लोगों के नाम पर थी जिसका जमीन से कोई मतलब नहीं था. इसकी पुष्टि जमीन बेचने वाले और इसमें शामिल ब्रोकर की ओर से की गई. विभाग ने रियल एस्टेट कंपनी का नाम सार्वजनिक नहीं किया है.
कंपनी ने स्क्रैप करेंसी
आयकर विभाग के अनुसार, अटैच की गई अन्य संपत्तियों में दो केस नोटबंदी के बाद के हैं. इसमें यह पाया गया कि दो अटैच एसेट्स ऐसे थे, जिसमें कंपनियों ने स्क्रैप करेंसी (पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट) अलग-अलग बैंक खातों में अपने इम्प्लॉइज और सहयोगियों के नाम से जमा कराई थी. उसे बाद में अपने-अपने बैंक अकाउंट्स में ट्रांसफर किया गया. इस तरह अकाउंट में 39 करोड़ रुपए भेजने की कोशिश की गई. एक अन्य केस में 1.11 करोड़ रुपए कैश एक व्यक्ति की गाड़ी से जब्त किए गए. हालांकि, किसी व्यक्ति ने इस कैश पर क्लेम नहीं किया. न्यायिक अथॉरिटी ने कैश को बेनामी प्रॉपर्टी घोषित कर दिया.