'देश की आर्थिक वृद्धि दर कुछ तिमाहियों में 7 फीसदी हो जाएगी, बुरा वक्त बीत गया'

‘देश की आर्थिक वृद्धि दर कुछ तिमाहियों में 7 फीसदी हो जाएगी, बुरा वक्त बीत गया’

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भारत की आर्थिक वृद्धि में गिरावट के कारक अब समाप्त हो चुके हैं. अगली कुछ तिमाहियों में वृद्धि दर सात प्रतिशत पर पहुंच जाएगी. हालांकि 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर पाने में कुछ साल लग सकते हैं. स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने यह बात कही. आर्थिक परिदृश्य-2018 के बारे में एक शोध पत्र में उसने कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का बुरा समय बीत चुका है. उसने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत तथा अगले वित्त वर्ष के लिए 7.2 प्रतिशत का पूर्वानुमान भी व्यक्त किया. उसने कहा, ‘‘प्रमुख नीतिगत बदलावों का असर समाप्त हो जाने के बाद हमें अगली चार से छह तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि में क्रमिक सुधार की उम्मीद है.’’

भारत की आर्थिक वृद्धि में गिरावट के कारक अब समाप्त हो चुके हैं. अगली कुछ तिमाहियों में वृद्धि दर सात प्रतिशत पर पहुंच जाएगी. हालांकि 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर पाने में कुछ साल लग सकते हैं. स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने यह बात कही. आर्थिक परिदृश्य-2018 के बारे में एक शोध पत्र में उसने कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का बुरा समय बीत चुका है. उसने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत तथा अगले वित्त वर्ष के लिए 7.2 प्रतिशत का पूर्वानुमान भी व्यक्त किया. उसने कहा, ‘‘प्रमुख नीतिगत बदलावों का असर समाप्त हो जाने के बाद हमें अगली चार से छह तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि में क्रमिक सुधार की उम्मीद है.’’

वहीं दूसरी ओर वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनली की एक ताजा रपट के अनुसार देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वर्ष 2017 के 6.4 प्रतिशत की तुलना में 2018 में 7.5 प्रतिशत और 2019 में 7.7 प्रतिशत तक जाने की संभावना है. मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक कंपनियों के लाभ और बैलेंस शीट में बुनियादी सुधार हो रहा है. इससे वित्तीय प्रणाली मजबूत होगी तथा निवेश के लिए ऋण मांग की जरूरत पूरी करने में सक्षम होगी.

रपट में कहा गया है, “हमें उम्मीद है कि ये सभी बाते 2018 में आर्थिक गति में का मार्ग प्रशस्त करेंगी और वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर इस साल के 6.4 प्रतिशत से बढ़कर 2018 में 7.5 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी. वर्ष 2019 में वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रहने की संभावना है.” रपट के अनुसार नोटबंदी और जीएसटी के कार्यान्वयन में तात्कालिक समस्याओं के बाद अब मांग सुधार रही है. इससे निजी पूंजीगत व्यय में सुधार होने की संभावनाओं को लेकर मॉर्गन स्टेनली आश्वस्त है. इसके अतिरिक्त, खपत और निर्यात में तेजी आ रही है और जिसकी वजह से कंपनियों के राजस्व में वृद्धि की उम्मीद है.

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