जीएसटी कलेक्शन में लगातार दूसरे महीने गिरावट, नवंबर में 80808 करोड़ रुपये का संग्रह

जीएसटी कलेक्शन में लगातार दूसरे महीने गिरावट, नवंबर में 80808 करोड़ रुपये का संग्रह

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जीएसटी क्रियान्वयन के पांचवें महीने में कुल 80,808 करोड़ रुपये में से 7,798 करोड़ रुपये मुआवजा उपकर के रूप में आया.

जीएसटी संग्रह में लगातार दूसरे महीने गिरावट आयी और नवंबर में यह 80,808 करोड़ रुपये रहा. इससे पूर्व महीने में यह 83,000 करोड़ रुपये था. वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार कुल जीएसटी संग्रह 25 दिसंबर तक 80,808 करोड़ रुपये रहा. आलोच्य महीने में कुल 53.06 लाख रिटर्न भरे गये. जीएसटी क्रियान्वयन के पांचवें महीने में कुल 80,808 करोड़ रुपये में से 7,798 करोड़ रुपये मुआवजा उपकर के रूप में आया. महीने के दौरान 13,089 करोड़ रुपये केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी), 18,650 करोड़ रुपये राज्य जीएसटी तथा 41,270 करोड़ रुपये एकीकृत माल एवं सेवा कर (आईजीएसटी) के रूप में आया.

बयान के अनुसार माह के दौरान आईजीएसटी केड्रिट से केंद्रीय और राज्य स्तरीय जीएसटी के भुगतान के परस्पर समायोजन के तहत 10,348 करोड़ रुपये आईजीएसटी से सीजीएसटी खाते तथा 14,488 करोड़ रुपये आईजीएसटी से एसजीएसटी खाते में भेजे हस्तांतरित किए जा रहे हैं. बयान के अनुसार इस प्रकार, निपटान के तहत कुल 24,836 करोड़ रुपये आईजीएसटी से सीजीएसटी/एसजीएसटी खाते में स्थानांतरित किये गये.

इस प्रकार, 25 दिसंबर तक प्राप्त रपट के अनुसार नवंबर में सीजीएसटी और एसजीएसटी का कुल संग्रह क्रमश: 23,437 करोड़ रुपये तथा 33,138 करोड़ रुपये रहा. उपलब्ध आंकड़े के अनुसार जुलाई में जीएसटी संग्रह 95,000 करोड़ रुपये रहा जबकि अगस्त में यह आंकड़ा 91,000 करोड़ रुपये था. सितंबर में यह 92,150 करोड़ रुपये तथा अक्तूबर में यह 83,000 करोड़ रुपये था.

माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू हुये छह माह पूरे होने को हैं, लेकिन कारोबारी अभी इसके साथ पूरी तरह सहज नहीं हो पाए हैं. ऐसे में विशेषज्ञों ने सरकार और कारोबारियों के बीच तालमेल व सहयोग बढ़ाने और कर स्लैब की संख्या घटाने की सलाह दी है. कारोबारियों का कहना है कि जीएसटी के स्लैब पांच से घटाकर तीन किये जाने चाहिये तथा सेवाओं पर कर की दर बढ़ाने के नकारात्मक प्रभाव पर भी गौर करने की जरूरत है. गौर तलब है कि जीएसटी में सेवाओं पर कर की दर 14 प्रतिशत से बढ़ कर 18 प्रतिशत हो गयी है. विशेषज्ञों के अनुसार सरकार हालांकि, उद्यमियों की जीएसटी से जुड़ी तमाम परेशानियों को दूर करने के लिये हरसंभव कदम उठा रही है, लेकिन जीएसटी के वास्तविक व्यवहार में आने वाली समस्याओं को जल्द से जल्द दूर किये जाने की जरूरत है.

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