सितंबर महीने के दौरान एक बार फिर मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सुधार दर्ज हुआ है. मंगलवार को आए मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के पीएमआई आंकड़े अधिक आउटपुट और नए ऑर्डर के चलते अच्छे रहे. निक्केई इंडिया द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का पीएमआई (पर्चेसिंग मैनेजर इंडेक्स) 51.2 रहा.
आर्थिक जानकारों के लिए सितंबर के यह आंकड़े कारोबार के लिए राहत भरे हैं. इन आंकड़ों से साफ संकेत मिल रहा है कि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर नोटबंदी और जीएसटी के झटके से उबरने के लिए तैयार है. मार्किट के अर्थशास्त्री आशना दोढ़िया का दावा है कि इन आंकड़ों के साथ कहा जा सकता है कि अब इस सेक्टर पर जुलाई 2017 में लागू हुए जीएसटी का दबाव देखने को नहीं मिलेगा.
हालांकि यह सितंबर के यह आंकड़ों जीएसटी लागू होने से पहले के औसत स्तर 54.1 के स्तर से कम हैं लेकिन इन आंकड़ों से साफ है कि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर कुछ महीनों की सुस्ती के बाद एक बार फिर रफ्तार पकड़ने के लिए तैयार है.
गौरतलब है कि देश में जुलाई में माल एवं सेवाकर जीएसटी लागू होने के बाद मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट दर्ज हुई थी. क्योंकि इस दौरान नये आर्डर और उत्पादन में कमी देखने को मिली थी. वहीं जीएसटी लागू होने के बाद यह दिसंबर 2016 के बाद की सबसे बड़ी और पहली गिरावट थी. वहीं पिछले साल नोटबंदी के बाद दिसंबर माह में भी मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट दर्ज की गई थी.
लिहाजा पहले नोटबंदी फिर जीएसटी के दबाव में आई इस गिरावट के बाद रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दर कम करने की मांग पर दबाव बढ़ गया था. आज एक बार फिर रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा बैठक शुरू हो रही है. निक्की इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स पीएमआई जहां जून में 50.9 अंक पर था वहीं जुलाई में यह 47.9 पर पहुंच गया था.
क्या है पीएमआई?
पीएमआई या पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स , एक मिश्रित सूचकांक है जिसे मैन्यूफैक्चरिंग की स्थिति के आंकलन के लिए तैयार किया जाता है. सूचकांक का 50 से उपर रहना वृद्धि और इससे कम रहने का अर्थ है संकुचन होता है. पीएमआई अर्थव्यवस्था में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के स्वास्थ को दर्शाता है.