इकोनॉमिक सर्वे 2017-18: कर्ज के बोझ और कीमतों के युद्ध में पिसा दूरसंचार क्षेत्र

इकोनॉमिक सर्वे 2017-18: कर्ज के बोझ और कीमतों के युद्ध में पिसा दूरसंचार क्षेत्र

Rate this post

इसके अनुसार दूरसंचार व कंप्यूटर सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर क्षेत्र में में उच्च एफडीआई के चलते अप्रैल अक्तूबर के दौरान दस शीर्ष क्षेत्रों में एफडीआई इक्विटी अंतरप्रवाह 15 प्रतिशत बढ़ा.

आर्थिक समीक्षा के अनुसार भारी ​ऋण बोझ, गला-काट बाजार प्रतिस्पर्धा तथा स्पेक्ट्रम की तर्कहीन ऊंची लागत के चलते देश का दूरसंचार क्षेत्र दबाव में है. इसके साथ ही नीलामी के स्पेक्ट्रम की बहुत बढ़ाकर बोली पर लगाम लगाने का नीतिगत उपाय किए जाने की सलाह दी गई है. आर्थिक समीक्षा सोमवार (29 जनवरी) को संसद में पेश की गई. इसके अनुार स्पेक्ट्रम के साथ साथ कोयला व अक्षय उर्जा स्रोतों के मामले में नीलामी से पारदर्शिता तो आई लेकिन हो सकता है कि यह ऐसे मामलों में बोली में सफल इकाइयों के लिए अभिशाप भी साबित हों जहां कंपनियों ने आस्तियां पाने के लिए काफी बढ़ा चढ़ा कर बोलिया लगाईं हों. समीक्षा में इस स्थिति के प्रत्येक क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभावों के प्रति आगाह किया गया है.

इसके अनुसार दूरसंचार व कंप्यूटर सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर क्षेत्र में में उच्च एफडीआई के चलते अप्रैल अक्तूबर के दौरान दस शीर्ष क्षेत्रों में एफडीआई इक्विटी अंतरप्रवाह 15 प्रतिशत बढ़ा, जबकि इस दौरान कुल एफडीआई इक्विटी अंतरप्रवाह में 0.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.

हालांकि यह रेखांकित करना महत्वपूर्ण है कि बढ़ते घटे, ऋण बोझ, प्रतस्पर्धा में सवाओं की दरें घटाने की होड़, आय में कमी तथा स्पेक्ट्रम की तर्कहीन ऊंची कीमत से यह क्षेत्र दबाव में है. रिलायंस जियो की सेवाओं की ओर एक तरह से संकेत करते हुए इसमें कहा गया है कि एक नयी कंपनी की सस्ती डेटा सेवाओं से बाजार ​में विघ्न आया और मौजूदा कंपनियों की आय घटी.

इस संकट का काफी प्रतिकूल असर इन दूरसंचार कंपनियों के निवेशकों, ऋणदाताओं, भागीदारों व वेंडरों पर पड़ा. समीक्षा में सलाह दी गई है कि नीलामी के जरिए खरीदे जाने वाले स्पेक्ट्रम व अन्य आस्तियों की लागत को युक्तिसंगत बनाया जाए. इसके अनुसार कुल दूरसंचार ग्राहकों की संख्याा सितंबर 2017 तक 120.704 करोड़ थी.

इकोनॉमिक सर्वे 2017-18 में सुझाव, एयर इंडिया का विनिवेश अगले वित्त वर्ष में पूरा करे सरकार

सरकार को राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया का विनिवेश अगले वित्त वर्ष में पूरा करना चाहिए. संसद में सोमवार (29 जनवरी) को पेश 2017-18 की आर्थिक समीक्षा में यह सुझाव दिया गया है. समीक्षा में 2018-19 के लिए जिस एजेंडा का सुझाव दिया गया है उसमें जीएसटी को स्थिर करना, फंसे कर्ज की समस्या से कंपनियों और बैंक दोनों के खातों को दुरुस्त करने की कार्रवाई को पूरा करना, एयर इंडिया का निजीकरण तथा वृहद आर्थिक स्थिरता के जोखिमों से निपटना शामिल है.

सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 में 16 विनिवेश सौदों से 46,247 करोड़ रुपए जुटाए थे. चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 72,500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया गया है. इसमें 46,500 करोड़ रुपये सार्वजनिक उपक्रमों में अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री, 15,000 करोड़ रुपये रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री तथा 11,000 करोड़ रुपये साधारण बीमा कंपनियों को सूचीबद्ध कर जुटाए जाने हैं.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *