अनुमान के मुताबिक भारत में 50,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की ब्राउन मनी है. ओएलएक्स क्रस्ट सर्वेक्षण के मुताबिक कई घरों में तो करोड़ों रुपए का पुराना सामान है.
घर में पड़े बेकार सामान से पैसा कमाना सबसे आसान काम है. इसके लिए आपको कहीं जाने की भी जरूरत नहीं. 5 वेबसाइट्स ऐसी हैं, जिनके जरिए ये सामान बेचकर आप घर बैठे पैसा कमा सकते हैं. खास बात ये है कि आप अपने अनुसार प्राइस तय करके सामान बेच सकते हैं. ये वेबसाइट्स इसे “ब्राउन मनी” कहती हैं. दरअसल, ये ‘ब्राउन मनी’ उस पुराने सामान की अनुमानित कीमत है जो घरों में पड़ा रहता है. अनुमान के मुताबिक भारत में 50,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की ब्राउन मनी है. ओएलएक्स क्रस्ट सर्वेक्षण के मुताबिक कई घरों में तो करोड़ों रुपए का पुराना सामान है. लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते और पुराना सामान गलता रहता है. यदि पुराने सामान को सही समय पर बेच दिया जाए, तो अच्छी खासी कीमत मिल सकती है और आप घर बैठे अमीर बन सकते हैं.
50,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की ब्राउन मनी
इस्तेमाल किए हुए (सेकेंड हैंड) सामान ऑनलाइन बेचने की सुविधा प्रदान करने वाली कंपनी का कहना है कि भारतीयों के घरों में 50,000 करोड़ रुपए की वस्तुएं बेकार पड़ी धूल खा रही हैं. इतना ही नहीं यह आंकड़ा केवल शहरी इलाके का है. कंपनी ने इस तरह के सामान को ‘ब्राउन मनी’ नाम दिया है.
इन ऑनलाइन वेबसाइट पर बेच सकते हैं पुराना सामान
अगर आपके घर में भी पुराना सामान है, तो आप इसके ओएलएक्स और क्विकर पर बेच सकते हैं. इन वेबसाइट पर आप घर बैठे पुराने सामान की फोटो अपलोड कर सकते हैं. यह वेबसाइट लोगों को सीधे ग्राहक से जुड़ने का प्लेटफॉर्म मुहैया कराती हैं.
1. ओएलएक्स डॉट इन (olx.in)
2. क्विकर डॉट कॉम (quikr.com)
3. कुप्पाथोट्टी डॉट कॉम (kuppathotti.com)
4. द कबाड़ीवाला डॉट कॉम (TheKabadiwala.com)
5. रेडीएक्सप्रेस डॉट कॉम (Raddiexpress.com)
अर्थव्यवस्था को मिलती है मदद
ओएलएक्स क्रस्ट सर्वेक्षण में बताया गया है कि घरों में बेकार पड़ी वस्तुएं ब्राउन मनी हैं, जो कि यूं ही धूल खा रही हैं. इसे यदि बेच दिया जाए तो जहां पुराने मालिक को कुछ पैसे मिलते हैं, वहीं उस बेकार वस्तु का उपयोग होता है. इससे अर्थव्यवस्था को भी मदद मिलती है.
मनरेगा से डेढ़ गुना रकम
घरों में पड़े इस सामान के एवज में लाखों करोड़ रुपए जुटाए जा सकते हैं. इस रकम से मंगल अभियान पर मंगलयान को 125 से भी ज्यादा बार भेजा जा सकता है. भारतीय खाद्य निगम के पूरे बकाए को चुकाया जा सकता है. यह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए आवंटित रकम से भी डेढ़ गुना है.