भविष्य में पेट्रोल, रीयल्टी को GST के तहत लाया जा सकता है: सुशील मोदी

भविष्य में पेट्रोल, रीयल्टी को GST के तहत लाया जा सकता है: सुशील मोदी

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मौजूदा जीएसटी व्यवस्था में पांच स्लैब……शून्य प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं. इसके अलावा कुछ उत्पादों पर अतिरिक्त जीएसटी उपकर भी लगता है.

बिहार के वित्त मंत्री सुशील मोदी ने गुरुवार (14 दिसंबर) को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद भविष्य में बिजली, पेट्रोलियम उत्पादों तथा कुछ अन्य वस्तुओं को जीएसटी के तहत लाने पर विचार कर सकती है. उद्योग मंडल फिक्की की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘बिजली, रीयल एस्टेट, स्टाम्प शुल्क और पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाया जा सकता है. यह जीएसटी परिषद का प्रयास है.’’ हालांकि, उन्होंने इसके लिए कोई समयसीमा बताने से इनकार किया. उन्होंने कहा कि इन चीजों को जीएसटी में संविधान में संशोधन के बिना शामिल किया जाएगा.

मोदी ने कहा कि यदि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाया जाता है, तो इस पर उस समय लागू ऊंचा कर स्लैब लगेगा. इसके अलावा राज्यों को भी अपने राजस्व के संरक्षण के लिए उपकर लगाने की आजादी होगी. राज्य और केंद्र अपना 40 प्रतिशत राजस्व पेट्रोलियम उत्पादों से हासिल करते हैं. उन्होंने संकेत दिया कि आगे चलकर कर संग्रह स्थिर होने के बाद कर स्लैब में कटौती की जा सकती है.

मौजूदा जीएसटी व्यवस्था में पांच स्लैब……शून्य प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं. इसके अलावा कुछ उत्पादों पर अतिरिक्त जीएसटी उपकर भी लगता है. मोदी ने कहा, ‘‘हालांकि इस बारे में अंतिम निर्णय परिषद करेगी. संभावित परिदृश्य यह है कि मौजूदा 28 प्रतिशत की सबसे ऊंचे कर स्लैब को 25 प्रतिशत पर लाया जाएगा और 12 और 18 प्रतिशत के स्लैब को मिलाकर एक किया जाएगा.’’

इससे पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बीते 8 दिसंबर को कहा था कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद 12 और 18 फीसदी दरों को एक नए स्लैब में विलय करने की संभावनाओं की जांच करेगी, जो कि राजस्व में बढ़ोतरी पर निर्भर करेगा. जीएसटी परिषद के सदस्य मोदी ने यह भी कहा कि सामानों के ऊपर लगाए जानेवाले मूल्य टैग में सभी करों समेत मूल्य लिखा होना चाहिए. उन्होंने कहा, “जीएसटी परिषद 12 फीसदी और 18 फीसदी कर दरों को एक नए स्लैब में विलय करने की संभावना पर चर्चा करेगी. यह दर इन दोनों के बीच की एक दर हो सकती है. वहीं फिलहाल 50 वस्तुओं को 28 फीसदी के कर दायरे में रखा गया है, जिसमें से कई वस्तुओं को इससे निकाला जा सकता है.”

उन्होंने यहां भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित परस्पर संवाद सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “इन सब को राजस्व स्थिर हो जाने के बाद लागू किया जा सकता है और यह कर में उछाल आने पर निर्भर करता है.” उन्होंने कहा कि परिषद ने 178 सामानों पर कर की दरों को घटाकर कर से जुड़े 90 फीसदी मुद्दों का समाधान कर दिया है. उन्होंने कहा, “मैंने जीएसटी परिषद को सुझाव दिया है कि वस्तुओं पर अंतिम कीमत सभी करों को मिलाकर दर्ज किया जाना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि परिषद इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देगी.” उन्होंने कहा कि जीएसटी शासन में स्थिरता आने के बाद केंद्र और राज्य दोनों के राजस्व में बढ़ोतरी होगी.

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