रातोंरात खत्म नहीं हो सकता भ्रष्टाचार, पर काम शुरू हो चुका है: बिबेक देबरॉय

रातोंरात खत्म नहीं हो सकता भ्रष्टाचार, पर काम शुरू हो चुका है: बिबेक देबरॉय

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हालांकि, देबरॉय ने खेद व्यक्त किया कि कुछ नागरिक व्यक्तिगत रूप से आसान रास्ता अपनाना पसंद करते हैं, जैसे ट्रैफिक सिग्नल पर लाल बत्ती पार करने के बाद घूस देना और बाद में भ्रष्टाचार के बारे में शिकायत करते हैं.

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने कहा है कि भ्रष्टाचार मिटाना और काले धन को खत्म करना एक दिन का काम नहीं है पर इस दिशा में काम शुरू हो चुका है. प्रख्यात अर्थशास्त्री और नीति आयोग के सदस्य देबराय ने कहा कि भ्रष्टाचार से गरीबों को ज्यादा नुकसान होता है, लेकिन भ्रष्टाचार पर शिकंजे का असर अमीरों पर पड़ता है. देबरॉय ने ‘ऑन द ट्रायल ऑफ द ब्लैक: ट्रैकिंग करप्शन’ नाम की किताब पर बात करते हुए यह बात कही. यह किताब उन्होंने ही संपादित की है. देबरॉय से जब पूछा गया कि भ्रष्टाचार का खात्मा और काले धन का बाहर आना संभंव है तो उन्होंने कहा कि … यह काम चल रहा है.

उन्होंने कहा, “आप जब्त की गई बेनामी संपत्तियों की संख्या को देखें और मुखौटा कंपनियों की संख्या को देखना चाहिए जिनके खिलाफ कार्रवाई की गयी है…” हालांकि, देबरॉय ने खेद व्यक्त किया कि कुछ नागरिक व्यक्तिगत रूप से आसान रास्ता अपनाना पसंद करते हैं, जैसे ट्रैफिक सिग्नल पर लाल बत्ती पार करने के बाद घूस देना और बाद में भ्रष्टाचार के बारे में शिकायत करते हैं. यही नहीं कुछ लोग करीब सात दशकों से “चलता है” और “कुछ नहीं होने वाला” जैसे रवैया के साथ जी रहे हैं लेकिन अब वे सरकार से परेशान हैं.

उन्होंने कहा, “अब चीजें होना शुरू हुई है, कुछ लोगों को परेशानी हो रही है. इसलिए मैं इसे सकरात्मक रूप से देख रहा हूं. भ्रष्टाचार और काला धन रातभर में सुलझने वाली समस्या नहीं है, लेकिन मैंने आपको इस प्रक्रिया के शुरू होने के कुछ उदाहरण दिए हैं. देबरॉय ने “तथ्यों से परे” आंकड़े का उदाहरण देते हुए है कि दिल्ली में काले और सफेद धन (घोषित धन) का अनुपात नीचे आया है.

उन्होंने कहा, “जो दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं वो इस अनुपात से वाकिफ है. यह अनुपात 50:50 प्रतिशत (काला और सफेद धन) था. नोटबंदी के बाद जमीन के कारोबार जुड़े बहुत से लोगों ने मुझसे कहा कि अब यह अनुपात 50:50 का नहीं बल्कि 20:80 (काला धन और सफेद धन) का हो गया है.

इससे पहले सरकार को सलाह देने वाली संस्था नीति आयोग ने शनिवार (4 नवंबर) अपने प्रस्तुतिकरण में कहा था कि साल 2022 तक देश को गरीबी, गंदगी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जातिवाद और सांप्रदायिकता-इन छह समस्याओं से निजात दिलाने के लिए जमीन तैयार कर ली जाएगी. जब देश 2022 में स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा. नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने पिछले महीने राज्यपालों के सम्मेलन में न्यू इंडिया @2022 दस्तावेज पेश किया. इसे आज नीति आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया. कुमार ने कहा इसमें विकास को जन आंदोलन बनाने का जोर है ताकि 2022 तक भारत को यह छह प्रकार की आजादी (गरीबी, गंदगी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जातिवाद और सांप्रदायिकता से आजादी) प्राप्त हो सके.

कुमार के प्रस्तुतिकरण में 2022 तक एक नए भारत की बात की गई है, जो गरीबी, गंदगी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जातिवाद और सांप्रदायिकता से मुक्त होगा. दस्तावेज में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि नीति आयोग 2022 तक इन छह समस्याओं के निराकरण की आधारशिला रखने की बात कर रहा है. हालांकि, राजीव कुमार ने स्पष्टीकरण दिया कि उनका तात्पर्य 2022 तक ऐसी जमीन तैयार करने से है, जिनमें इन छह समस्याओं से छुटकारा पाया जा सके.

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