आगामी बजट से पहले जीडीपी के ताजा आंकड़े सरकार के लिए जो संकेत लेकर आए उनसे निबटने के लिए खुद प्रधानमंत्री आगे आए हैं.
आगामी बजट से पहले जीडीपी के ताजा आंकड़े सरकार के लिए जो संकेत लेकर आए उनसे निबटने के लिए खुद प्रधानमंत्री आगे आए हैं. अगले एक साल में अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए बजट में क्या किया जाए और क्या नहीं इस पर चिंतन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के बड़े अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों से मुलाकात की. इस बैठक में बेरोजगारी का मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चा में आया. ये मुद्दा एक चुनौती के रूप में सरकार के सामने खड़ी है. साथ ही किसानों की आय किस तरह दोगुनी की जाए इस पर भी बैठक में मंथन हुआ.
पिछले साल की तर्ज पर बजट से ठीक पहले नीति आयोग की तरफ से बुलाई गई इस बैठक में अलग-अलग क्षेत्रों के 40 से अधिक विशेषज्ञ और अर्थशास्त्रियों के साथ-साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली, वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, नितिन गड़करी, राधा मोहन सिंह और आला अधिकारी शामिल हुए.
बैठक में नीति आयोग ने बताया की हाल ही में रोजगार बढ़ाने के अवसर सुझाने के लिए एक टास्क फोर्स बनाई गई है. जिससे खुलासा हुआ कि देश में रोजगार की समस्या के आंकड़े जो पेश किए जाते रहे वो आधे अधूरे थे क्यूंकि सरकार ने इस दिशा में बेहतर काम किया है लेकिन इसकी चर्चा नहीं की गई. आयोग ने कहा कि वे इस बारे में जल्द ही आंकड़े जारी करेगा जो बिग डाटा एनालिटिक्स पर आधारित होंगे और इसके नतीजे चौंकाने वाले होंगे.
बैठक का थीम ‘इकनॉमिक पॉलिसी- द रोड अहेड’ था. बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार निर्भीकता के साथ फैसले लेने में सक्षम है और सरकार साहसिक फैसले लेने से नहीं हिचकेगी. दीर्घकालिक हित के फैसले लेने के लिए ये सरकार तैयार है.
उन्होंने कहा कि, अपने विशालकाय देश में कई अंतर्विरोध और इसी के बीच आगे बढ़ते हुए विकास करना है. पीएम ने कहा, एक तरफ राजकोषीय घाटा कम रखना है तो दूसरी तरफ नई कल्याणकारी योजनाएं भी चलानी होती है. संतुलन कायम रखते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ना सरकार की प्राथमिकता है.