नोटबंदी पर हो रही Poster Boys वाली राजनीति का विश्लेषण

नोटबंदी पर हो रही Poster Boys वाली राजनीति का विश्लेषण

Rate this post

DNA में अब हम नोटबंदी पर हो रही Poster Boys वाली राजनीति का विश्लेषण करेंगे. आज नोटबंदी को एक साल पूरा हो गया है. इस एक साल में देश की अर्थव्यवस्था में क्या बदला, ये हम आपको कल बता चुके हैं. लेकिन आज देश में नोटबंदी के पक्ष और विरोध में बहुत से प्रदर्शन और जश्न हुए हैं. सरकार के मंत्रियों ने देशभर में घूम घूमकर नोटबंदी के फायदे गिनाए हैं, तो विपक्ष ने पूरे देश में नोटबंदी का विरोध किया है. विपक्ष का ये विरोध सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक जारी रहा. लेकिन अपने इस विरोध में आज कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी से एक बहुत बड़ी गलती हो गई.

आज कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नोटबंदी के विरोध में एक Tweet किया. राहुल गांधी ने इस Tweet में एक शेर लिखा था-
“एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुमने देखा नहीं आँखों का समंदर होना”

राहुल गांधी इस Tweet के ज़रिये नोटबंदी की व्यथा बताना चाहते थे. और इसके लिए उन्होंने एक तस्वीर का सहारा लिया.सबसे पहले आपको इस तस्वीर के बारे में विस्तार से बताते हैं. इस तस्वीर में एक बुज़ुर्ग व्यक्ति दिख रहे हैं. और ऐसा लग रहा है कि वो नोटबंदी के दौरान बैंक की लाइन में लगने की वजह से रो रहे हैं.

लेकिन ये इस तस्वीर का एक पहलू है. और ये पहलू पूरी तरह से झूठ है. ये तस्वीर आज से करीब एक साल पहले बहुत Viral हुई थी. और इस तस्वीर में दिख रहे बुज़ुर्ग व्यक्ति को… नोटबंदी का विरोध करने वालों ने एक Poster Boy बना दिया था. इन लोगों ने ये जानने और समझने की कोशिश नहीं की कि ये व्यक्ति क्यों रो रहा है? और आज राहुल गांधी ने भी अपने Official Twitter Handle से एक बार फिर इस तस्वीर को नोटबंदी की व्यथा बताते हुए Tweet कर दिया.

DNA में हम आपको झूठे एजेंडे के प्रति हमेशा सावधान करते हैं. और आज भी हम ऐसा ही करेंगे. जो तस्वीर राहुल गांधी ने Tweet की है.. उसमें मौजूद व्यक्ति को हमने खोज निकाला है. इस व्यक्ति का नाम है नंदलाल. और ये 82 साल के हैं. नंदलाल एक रिटायर्ड फौजी हैं और फिलहाल गुरुग्राम में रहते हैं. हमने उनसे बात की तो पता चला कि ये तस्वीर उन्हीं की है, लेकिन वो नोटबंदी की वजह से नहीं रो रहे थे. बल्कि नोटबंदी के दौरान जब वो बैंक की लाइन में खड़े थे, तो एक महिला उनके पैर पर चढ़ गई थी, जिसकी वजह से उन्हें दर्द हुआ और उनकी आंखों से आंसू आ गये.

तभी किसी Photographer ने उनकी ये तस्वीर खींच ली और वो तस्वीर Viral हो गई. नंदलाल को तो ये भी नहीं पता कि कोई राजनीतिक पार्टी.. अपने एजेंडे के लिए.. उनकी इस तस्वीर का इस्तेमाल कर रही है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि नंदलाल नोटबंदी के विरोध में नहीं हैं. बल्कि वो सरकार की तारीफ कर रहे हैं. सबसे पहले हम आपको नंदलाल का एक इंटरव्यू दिखाना चाहते हैं. नोटबंदी पर आपने बहुत से मंत्रियों और विपक्ष के नेताओं के इंटरव्यू आज दिन भर TV Channels पर देखे होंगे. लेकिन किसी ने भी आपको नंदलाल का इंटरव्यू नहीं दिखाया होगा. यहां आपको ये भी बता दें कि बुज़ुर्ग होने की वजह से नंदलाल को सुनने में थोड़ी समस्या होती है.

राहुल गांधी पर उनके विरोधी अक्सर ये आरोप लगाते हैं कि वो कभी भी अपना Homework नहीं करते हैं. बाकी मुद्दों का तो पता नहीं लेकिन इस मामले में राहुल गांधी और उनकी टीम ने वाकई Homework नहीं किया था. क्योंकि नंदलाल जी की ये ख़बर बहुत से अखबारों में छप चुकी है. अगर राहुल गांधी की टीम ने वो अखबार पढ़ लिए होते तो शायद ऐसी गलती ना होती. नंदलाल जी की तस्वीर से कांग्रेस ने ये दिखाने की कोशिश की है.. कि नोटबंदी ने लोगों को सिर्फ आंसू ही दिए, लेकिन नंदलाल जी ये साफ तौर पर कह रहे हैं कि उन्हें नोटबंदी से कोई परेशानी नहीं हुई थी. कुल मिलाकर ये कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी का एक Self Goal था.

वैसे हम राहुल गांधी और उनकी टीम को ये भी बताना चाहते हैं कि नंदलाल जी के आर्थिक हालात अच्छे नहीं हैं. उन्हें फौज से पेंशन तो मिलती है, लेकिन इससे उनका घर नहीं चलता. अब भी अगर वो चाहें तो वो उनकी तस्वीर पर एजेंडे वाली राजनीति करने के बजाय… उनकी मदद भी कर सकते हैं. असल में राजनीतिक पार्टियों को ऐसे Poster Boys की तलाश हमेशा रहती है. उन्हें सिर्फ इस बात की फिक्र होती है कि किसी Poster Boy की तस्वीर की मदद से वो वोटों की फसल काट पाएं.

ये तस्वीर आपको ज़रूर याद होगी. ये तस्वीर 2002 के गुजरात दंगों के दौरान ली गई थी, लेकिन इस तस्वीर के पीछे छिपे दर्द को शायद आप नहीं जानते होंगे. ये तस्वीर कुतुबुद्दीन अंसारी की है. 2002 में कुतुबुद्दीन.. दंगा करने वालों से बचने के लिए आंखों में आंसुओं का सैलाब लिए.. रहम की भीख मांगते हुए दिख रहे हैं. कुतुबुद्दीन के दंगों के ज़ख्म तो आज भी ताज़ा हैं, लेकिन ये तस्वीर जब भी उनके सामने आती है.. तो हर बार उनके ज़ख्म हरे हो जाते हैं. इस एक तस्वीर ने कुतुबुद्दीन अंसारी को गुजरात दंगों का Poster Boy बना दिया था. कुतुबुद्दीन पिछले 15 वर्षों से इस तस्वीर का दर्द झेल रहे हैं. उनकी इस तस्वीर का ज़बरदस्त राजनीतिक दोहन किया गया.

कुतुबुद्दीन अंसारी आज अहमदाबाद में दर्जी का काम करते हैं. 2002 में उनकी ये तस्वीर नरौदा पाटिया में फोटोग्राफर Arko दत्त ने ली थी . तब हथियारबंद लोगों ने अंसारी पर हमला किया था और उन्हें सुरक्षाबलों ने बचाया था. कांग्रेस ने जब पिछले साल अप्रैल के महीने में असम के विधानसभा चुनावों के लिए अपना चुनावी पोस्टर जारी किया था, तो उसमें कुतुबुद्दीन अंसारी की यही फोटो लगा दी थी. हालांकि कांग्रेस के ये चुनावी हथकंडे किसी काम नहीं आए थे और वो असम का विधानसभा चुनाव हार गई थी.

2002 के बाद 15 वर्षों में अंसारी 43 वर्ष के हो गए हैं और अपनी इस तस्वीर के इस्तेमाल को लेकर राजनीतिक दलों पर सवाल उठा रहे हैं . उन्हें नाराज़गी इस बात से है कि राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए उनकी तस्वीर का उपयोग कर रहे हैं . कभी NCP.. तो कभी कांग्रेस ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए उनकी तस्वीर छापकर वोटों की फसल काटी . और इन पार्टियों ने कभी भी अपने चुनावी पोस्टरों पर कुतुबुद्दीन की तस्वीर छापने से पहले उनकी इजाज़त नहीं ली.

नोटबंदी का विरोध दर्ज करने के लिए विपक्ष ने इस तस्वीर का सहारा लिया. लेकिन सरकार ने नोटबंदी के पक्ष में एक Short Film Release कर दी. वैसे तो आज शुक्रवार नहीं है, लेकिन इसके बावजूद आज ये Film Release हुई है. ये फिल्म प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने Twitter Handle से Share की. सबसे पहले आप इस Short Film का एक हिस्सा देखिए और फिर हम नोटबंदी का एक साल पूरा होने पर.. कुछ नये आंकड़े दिखाएंगे.

वैसे तो मंगलवार (7 नवंबर) को हमने DNA में आपको नोटबंदी से जुड़े हुए बहुत से आंकड़े बता दिए थे. लेकिन एक साल पूरा होने पर हमने नोटबंदी का एक और Score card तैयार किया है. नोटबंदी की वजह से 15.44 लाख करोड़ रुपये की Currency प्रभावित हुई थी, जबकि नोटबंदी के बाद बैंकों में 15.28 लाख करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा हुए.

सरकार को ये पता है कि किस व्यक्ति ने बैंक में कितना पैसा जमा किया. 17 हज़ार करोड़ रुपये Shell कंपनियों के द्वारा जमा किए गए थे, जिन पर नज़र रखी जा रही है. इसके अलावा 17 लाख 70 हज़ार लोगों द्वारा जमा कराये गए पैसों पर भी सरकार की नज़र है. इसके अलावा नोटबंदी की वजह से Circulation में मौजूद Currency भी कम हो गई है. एक साल पहले 8 नवंबर 2016 को देश में 17.77 लाख करोड़ रुपये की Currency थी, जबकि 30 सितंबर 2017 तक देश में 15.89 लाख करोड़ रुपये की Currency मौजूद है. और इसकी वजह से ही Digital Payments बढ़ गई हैं. अक्टूबर 2016 में PoS मशीनों में इस्तेमाल होने वाले Cards की वजह से 51 हज़ार 883 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था. जबकि अगस्त 2017 में अब ऐसा लेनदेन बढ़कर 71 हज़ार 712 करोड़ रुपये का हो गया है.

नोटबंदी के खिलाफ आज देशभर में विपक्ष का विरोध प्रदर्शन था. लेकिन सरकार जश्न मना रही है. सरकार ने आज के दिन को Anti Black Money Day के तौर पर मनाया. और आज वित्त मंत्री अरुण जेटली ने Zee News से बातचीत की है. वित्त मंत्री का कहना है कि आज़ाद हिंदुस्तान में पहली बार.. सरकार के किसी फैसले को.. लोगों ने इतना समर्थन दिया है.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *