नोटबंदी का विरोध करने वालों को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिए 10 करारे जवाब

नोटबंदी का विरोध करने वालों को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिए 10 करारे जवाब

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आठ नवंबर को नोटबंदी के एक साल हो जाएंगे. इस दिन को विरोधी दल अपने-अपने हिसाब से नोटबंदी के प्रति विरोध जताएंगे. वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को दो टूक लहजे में कहा कि नोटबंदी भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का महत्वपूर्ण क्षण है.

आठ नवंबर को नोटबंदी के एक साल हो जाएंगे. इस दिन को विरोधी दल अपने-अपने हिसाब से नोटबंदी के प्रति विरोध जताएंगे. वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को दो टूक लहजे में कहा कि नोटबंदी भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का महत्वपूर्ण क्षण है. वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी ने देश में स्वच्छ, पारदर्शितापूर्ण और ईमानदार वित्तीय प्रणाली प्रदान की है जिस पर आने वाली पीढ़ी गर्व करेगी. नोटबंदी के एक वर्ष शीर्षक से अपने लेख में जेटली ने कहा कि आठ नवंबर को भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में महत्वपूर्ण क्षणों के रूप में याद किया जायेगा. यह दिवस देश से कालाधन की गंभीर बीमारी के उपचार के इस सरकार के संकल्प को प्रदर्शित करता है. हम भारतीयों को भ्रष्टाचार और कालाधन के संदर्भ में चलता है की भावना के साथ रहने को मजबूर कर दिया गया था और इस व्यवहार का प्रभाव मध्यम वर्ग और समाज के निचले तबके के लोगों को भुगतना पड़ रहा था. आइए नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कौन सी 10 बातें कही.

1. अरुण जेटली ने कहा कि समाज के एक बड़े तबके के भीतर लम्बे समय से यह तीव्र इच्छा थी कि हमारे समाज को भ्रष्टाचार और कालाधन के अभिशाप से मुक्त किया जाए. इसी इच्छा के परिणामस्वरूप लोगों ने मई 2014 में जनादेश दिया.

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2. जेटली ने अपने लेख में लिखा कि मई 2014 में सत्ता संभालने के बाद इस सरकार ने कालाधन की बुराई से निपटने की लोगों की इच्छा को पूरा करने का निर्णय किया और कालाधन के मामले पर एसआईटी का गठन किया. हमारा देश इस बात से वाकिफ है कि किस प्रकार पूर्व की सरकार ने वर्षो तक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को नजरंदाज किया था. उस समय की सरकार की कालाधन के खिलाफ लड़ाई के संदर्भ में इच्छा शक्ति की कमी का एक और उदाहरण 28 वर्षो तक बेनामी संपत्ति अधिनियम को लागू करने में देरी करना था.

3. वित्त मंत्री ने कहा कि इस सरकार ने निर्णय किया और कालाधन के खिलाफ लड़ाई के उद्देश्यों को पूरा करने के लिये तीन वर्षों में सुविचारित और सुनियोजित तरीके से निर्णय किया और कानून के पूर्व के प्रावधानों को लागू किया. एसआईटी के गठन से विदेशी सम्पत्ति के संदर्भ में जरूरी कानून पारित कराने से लेकर नोटबंदी और जीएसटी को लागू करने का निर्णय इसी दिशा में उठाया गया कदम है.

4. उन्होंने कहा कि जब देश ‘कालाधन विरोधी दिवस’ मना रहा है, तब एक बहस शुरू हो गई है कि क्या नोटबंदी की कवायद अपने उद्देश्यों को पूरा कर सकी. इस संदर्भ में नोटबंदी अल्पावधि और मध्यावधि में तय उद्देश्यों के संदर्भ में सकारात्मक परिणाम लाने वाला कदम रहा.

5. जेटली ने कहा कि सम्पूर्ण रूप से यह कहना गलत नहीं होगा कि नोटबंदी से देश स्वच्छ, पारदर्शितापूर्ण और ईमानदार वित्तीय प्रणाली की ओर बढ़ा है. कुछ लोगों को अभी तक इसके फायदे नहीं दिखे हैं. आने वाली पीढ़ी नवंबर 2016 के बाद के राष्ट्रीय आर्थिक विकास को गर्व की भावना के साथ देखेगी क्योंकि इसने उन्हें निष्पक्ष एवं ईमानदार व्यवस्था रहने के लिये प्रदान की है.

6. वित्त मंत्री अरण जेटली ने नोटबंदी के संदर्भ में कहा, भाजपा का मानना है कि अर्थव्यवस्था को यथास्थिति से निकालकर उसमें स्फूर्ति लाने की जरूरत है.

7. जेटली ने कहा कि आर्थिक प्रणाली में कम नकदी होने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिलती है.

8. जेटली ने कहा नोटबंदी के बाद आतंकवादियों को होने वाले वित्तपोषण में कमी आई है.

9. जेटली ने कहा नोटबंदी के बाद आतंकवादियों को होने वाले वित्तपोषण में कमी आई है. कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य परिवार की सेवा करना है जबकि भाजपा देश की सेवा करना चाहती है.

10. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि संरचनात्मक सुधारों का प्रभाव अब पीछे छूट चुका है, अब शुरुआती आर्थिक संकेतक सुधार की ओर इशारा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नोटबंदी जैसे संरचनात्मक सुधारों तथा माल एवं सेवा कर (GST) को पेश करने के कुछ प्रभाव रहे हैं, लेकिन दीर्घावधि में इनसे अर्थव्यवस्था को फायदा होगा. वित्त मंत्री ने यहां इंडिया टुडे कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमने दो प्रमुख संरचनात्मक सुधार किए हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. मेरा मानना है कि इनका प्रभाव अब पीछे छूट चुका है. भविष्य के लिए शुरुआती संकेतक काफी सकारात्मक दिख रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि पिछले दो-तीन महीने में खरीद प्रबंधक सूचकांक :पीएमआई: आंकड़े काफी सकारात्मक रहे हैं. इसी तरह औद्योगिक उत्पादन तथा बुनियादी क्षेत्र की वृद्धि दर भी बेहतर रही है. ये कुछ शुरुआती संकेतक हैं, जो संभवत: एक सुधरी हुई स्थिति की ओर इशारा करते हैं.

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