अरुण जेटली ने 2014 में बीजेपी की ओर से खुद आयकर छूट 5 लाख करने की मांग की थी लेकिन वह अभी तक वादा पूरा नहींं कर पाए.
वर्ष 2018-19 का आम बजट मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा. इस बजट में सरकार मध्यम वर्ग को, जिसमें ज्यादातर वेतनभोगी तबका आता है, बड़ी राहत देने पर सक्रियता के साथ विचार कर रही है. सरकार का इरादा है कि इस वर्ग को खुदरा मुद्रास्फीति के प्रभाव से राहत दी मिलनी चाहिये. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले बजट में आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन छोटे करदाताओं को राहत देते हुये सबसे निचले स्लैब में आयकर की दर 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी थी. सबसे निचले स्लैब में ढाई लाख से लेकर पांच लाख रुपये सालाना कमाई करने वाला वर्ग आता है. महत्वपूर्ण बात यह है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2014 में खुद आयकर छूट 5 लाख करने की मांग की थी. ऐसे में हर कोई यह सवाल कर कर रहा है कि क्या वह अपना वादा पूरा करेंगे?
मौका मिला तो पूरी नहीं की मांग
भाजपा नेता के तौर पर जेटली ने आयकर छूट को 5 लाख करने की मांग की थी लेकिन सत्ता में आने के बाद वह खुद भी अभी तक इस मांग को पूरा नहीं कर पाए हैं. उनके पिछले 4 बजटों पर नजर डालें तो पाएंगे कि आयकर छूट सीमा को वह 2.5 लाख रुपये तक ले जा सके हैं. 5 लाख के आयकर छूट को अभी तक वह पूरा नहीं कर पाए.
कर स्लैब में हो सकते हैं व्यापक बदलाव
चूंकि यह आम बजट मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा. इसलिए उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री एक फरवरी को पेश होने वाले आगामी बजट में कर स्लैब में व्यापक बदलाव करेंगे. पांच से दस लाख रुपये की सालाना आय को दस प्रतिशत कर दायरे में लाया जा सकता है जबकि 10 से 20 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और 20 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाएगा. वर्तमान में ढाई से पांच लाख की आय पर पांच प्रतिशत, पांच से दस लाख रुपये पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर देय है.
उद्योग मंडल सीआईआई ने अपने बजट-पूर्व ज्ञापन में कहा है, ‘‘मुद्रास्फीति की वजह से जीवनयापन लागत में काफी वृद्धि हुई है. ऐसे में निम्न आय वर्ग को राहत पहुंचाने के लिये आयकर छूट सीमा बढ़ाने के साथ साथ अन्य स्लैब का फासला भी बढ़ाया जाना चाहिये.’’ उद्योग जगत ने कंपनियों के लिये कंपनी कर की दर को भी 25 प्रतिशत करने की मांग की है. हालांकि, सरकार पर राजकोषीय दबाव को देखते हुये उसके लिये इस मांग को पूरा करना मुश्किल लगता है. माल एवं सेवाकर लागू होने के बाद सरकार की अप्रत्यक्ष कर वसूली पर दबाव बढ़ा है. इस साल के बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.2 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखा गया है. सरकार ने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिये पिछले दिनों ही बाजार से 50,000 रुपये का अतिरिक्त उधार उठाया है.