fiscal deficit,income tax,Arun Jaitley,Tax payer,राजकोषीय घाटा, latest news, latest hindi news, hindi news

छोटे करदाताओं के हित में पहले उठाए गए कई कदम: जेटली

3/5 - (1 vote)

जेटली ने कहा कि बुनियादी ढांचा खड़ा करने, सीमा की सुरक्षा तथा सामाजिक सुरक्षा जैसे कार्यों के लिए संसाधनों की जरूरत होती है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मध्यम वर्ग को आम बजट में कोई बड़ी राहत नहीं दिए जाने का बचाव करते हुए शुक्रवार (2 फरवरी) को कहा कि सरकार पहले के बजटों में इस वर्ग के लिए अनेक कदम उठा चुकी है. उन्होंने का कहा कि राजकोषीय गुंजाइश होने पर भविष्य में और राहत दी जा सकती है. बजट बाद आयोजित कार्यक्रम में जेटली ने कहा, ‘अनुपालन के लिहाज से भारत के समक्ष गंभीर चुनौतियां हैं. भारत के लिए एक गंभीर चुनौती कर आधार बढ़ाने की है. इस लिहाज से अगर आप मेरे पिछले 4- 5 बजटों को देखेंगे तो, मैंने व्यवस्थित तरीके से छोटे करदाताओं को लगभग हर बजट में राहत प्रदान की.’’

पूर्व में घोषित प्रमुख घोषणाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब यह सरकार सत्ता में आई तो वेतनभोगियों के लिए छूट सीमा दो लाख रुपए बढ़ाकर ढाई लाख रुपए की गई. बचत पर 50,000 रुपए की अतिरिक्त छूट दी गई जिससे यह छूट एक लाख से बढ़कर 1.5 लाख रुपए हो गई तथा आवास ऋण वापसी पर ब्याज भुगतान के लिए 50,000 रुपए की अतिरिक्त छूट के साथ इसे बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया गया. डॉक्टरों, वकीलों जैसे पेशेवरों के मामले में उन्होंने कहा कि सरकार ने 50 लाख रुपए तक की आय वालों के लिए कराधान को काफी सरल बनाया है.

उन्होंने कहा कि इस तरह के करदाताओं के मामले में अनुमानित कर योजना के तहत उनकी 50 प्रतिशत आय पर ही कर लगाया जाता है, जबकि बाकी 50 प्रतिशत को उनका खर्च माना जाता है. दो करोड़ रुपए तक के कारोबार वाले व्यापारियों के संबंध में उन्होंने कहा कि उनकी छह प्रतिशत को ही आय मानकर उसी हिस्से पर कर लगाया जाता है. जेटली ने कहा कि पिछले साल ही सरकार ने पांच लाख रुपए तक की व्यक्तिगत सालाना आय पर कर की दर को 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया.

जेटली ने कहा कि बुनियादी ढांचा खड़ा करने, सीमा की सुरक्षा तथा सामाजिक सुरक्षा जैसे कार्यों के लिए संसाधनों की जरूरत होती है. उन्होंने कहा, ‘यह कहते हुये कि करदाताओं की संख्या कम की जा रही है और कर आधार में कमी लाकर आप व्यापक राष्ट्रीय हितों को पूरा नहीं कर सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को कर दायरे में लाकर ही राष्ट्रीय हितों को पूरा कर सकती है लेकिन छोटी इकाइयों को कई तरीकों से रियायतें दी गई हैं ताकि उन्हें कम भुगतान करना पड़े.

उन्होंने कहा, ‘मैंने एक तुलनात्मक चार्ट दिया है, कारोबारियों की तुलना में वेतनभोगी व्यक्ति अधिक कर दे रहे हैं, इसलिए मानक कटौती को फिर लागू करना पड़ा. मुझे विश्वास है कि इसमें आगे और विस्तार की गुंजाइश बनेगी.’ राजकोषीय प्रणाली पर कच्चे तेल की कीमतों के असर के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि बढ़ती कीमतें चिंता की वजह है लेकिन यह अब भी सरकार के अनुकूल दायरे में हैं. वित्त मंत्री ने कहा, ‘मुझे लगता है कि भारत ऊंची मुद्रास्फीति के युग से निकल आया है. देश चार प्रतिशत इसमें दो प्रतिशत ऊपर अथवा नीचे का मुद्रास्फीति लक्ष्य उचित है और इसे हासिल किया जा सकता है.’

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *