संसदीय समिति ने कहा, यूजीसी की तर्ज पर NCVT को भी मिले वैधानिक शक्तियां

संसदीय समिति ने कहा, यूजीसी की तर्ज पर NCVT को भी मिले वैधानिक शक्तियां

Rate this post

किरीट सोमैया की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति (श्रम) ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘इस तरह के कदम से एनसीवीटी सशक्त होगा.

संसद की एक समिति ने राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीटी) को वैधानिक शक्तियां देने का सुझाव दिया है ताकि यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) व अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की तरह कौशल शिक्षा के नियामक की भूमिका निभा सके. किरीट सोमैया की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति (श्रम) ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘इस तरह के कदम से एनसीवीटी सशक्त होगा. वह देश में व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए बनाये गये प्रावधानों को केवल अमल में लाने के बजाय चूककर्ताओं के खिलाफ कदम भी उठा सकेगा जिससे आईटीआई द्वारा कौशल प्रशिक्षण का भरोसा भी बढ़ेगा.’’

समिति ने कहा कि एनसीवीटी की शक्तियों को कानूनी दायरे में लाकर इसे नियामकीय क्षमताओं के बेहतर इस्तेमाल तथा आईटीआई के ऊपर निगरानी में सक्षम बनाएगा. अभी देश में सरकारी व निजी मिलाकर करीब 14 हजार आईटीआई हैं तथा आगे भी इनकी संख्या बढ़ने की उम्मीद है. समिति ने आगे कहा कि आईटीआई द्वारा स्वैच्छिक तौर पर अपनायी जाने वाली स्टार रेटिंग प्रणाली को हटाया नहीं जाना चाहिए बल्कि कौशल प्रशिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसे सभी पर लागू किया जाना चाहिए. उसने सुझाव दिया कि आधारभूत संरचना तथा प्रशिक्षकों संबंधी प्रावधानों का अनुपालन नहीं कर पाने वाले संस्थानों के साथ निपटने के लिए उनकी मान्यता खत्म करने के बजाय कोई वैकल्पिक तरीका अपनाया जाना चाहिए. मान्यता रद्द करने से उन संस्थानों में निबंधित प्रशिक्षु प्रभावित होते हैं.

वहीं दूसरी ओर एक संसदीय समिति ने सरकार से कहा है कि सार्वजनिक विमानन कंपनी एयर इंडिया के विनिवेश का यह सही समय नहीं है. समिति एयर इंडिया को उबरने के लिए कम से कम पांच साल देने तथा उसका ऋण माफ करने का सुझाव भी दे सकती है. ऐसा समझा जाता है कि समिति ने तय किया है कि एयर इंडिया की हिस्सेदारी बेचे जाने का निर्णय क्रमिक आधार पर लिया गया है जिससे उसके वित्तीय व परिचालन प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है तथा उसे अधिक ब्याज दर पर ऋण लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है. स्थायी समिति (परिवहन, पर्यटन और संस्कृति) के निष्कर्ष के अनुसार सरकार को एयर इंडिया के निजीकरण या विनिवेश के निर्णय की समीक्षा करना चाहिए और राष्ट्रीय गर्व के प्रतीक एयर इंडिया के विनिवेश का विकल्प खोजना चाहिए.

समिति ने पाया है कि एयर इंडिया आपदाओं, देश व विदेश में सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरता आदि में मौके पर खड़ा रहा है. उसने कहा कि नीति आयोग द्वारा इन सब बातों को परे हटाकर महज कारोबारी दृष्टिकोण से एयर इंडिया का मूल्यांकन-विश्लेषण किया गया है. समिति ने एयर इंडिया के प्रस्तावित विनिवेश पर संशोधित ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा है कि एयर इंडिया की वित्तीय पुनर्गठन योजना 2012 से 2022 तक 10 साल के लिए थी और विभिन्न पैमानों पर कंपनी में सुधार भी हुआ है जिससे लगता है कि वह उबर रही है.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *