पूरी दुनिया की मौजूदा अर्थव्यवस्था सिर्फ अमीरों का ही भला कर रही है

पूरी दुनिया की मौजूदा अर्थव्यवस्था सिर्फ अमीरों का ही भला कर रही है

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2010 से पूरी दुनिया के अमीरों की संपत्ति हर साल 13% की दर से बढ़ी है. जबकि इतने ही वक्त में एक आम मज़दूर की मज़दूरी सिर्फ 2% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ी है.

स्विटज़रलैंड के दावोस में दुनिया के बड़े बड़े देशों के नेता अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में जुटे हुए हैं. वो पूरी दुनिया की कंपनियों को अपने अपने देशों में निवेश के लिए आमंत्रित कर रहे हैं. लेकिन ऐसी अर्थव्यवस्था किस काम की, जो गरीब को, और गरीब बना रही है. और अमीर को, और अमीर बना रही है. और ये सिर्फ दुनिया के विकासशील देशों का हाल नहीं है, बल्कि विकसित देशों में भी यही हालात हैं. दुनिया भर में आर्थिक सर्वे करने वाली संस्था Oxfam ने अपनी नई रिपोर्ट जारी की है. और इस रिपोर्ट में ये बताया गया है कि पूरी दुनिया की मौजूदा अर्थव्यवस्था सिर्फ अमीरों का ही भला कर रही है.

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल पूरी दुनिया में जितनी दौलत कमाई गई, उसमें से 82%… पूरी दुनिया के सिर्फ 1% अमीर लोगों के कब्ज़े में चली गई. इन अमीरों की संपत्ति में एक साल में 48 लाख 60 हज़ार करोड़ रुपये का इज़ाफा हुआ. जबकि पूरी दुनिया के 370 करोड़ गरीब लोगों की संपत्ति में कोई इज़ाफ़ा नहीं हुआ.

2010 से पूरी दुनिया के अमीरों की संपत्ति हर साल 13% की दर से बढ़ी है. जबकि इतने ही वक्त में एक आम मज़दूर की मज़दूरी सिर्फ 2% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ी है. आप खुद ही सोचिए कि ये कितनी बड़ा असमानता है. पूरी दुनिया में पिछले साल हर दो दिन में एक नया अरबपति बना है. इस वक्त पूरी दुनिया में 2 हज़ार 43 अरबपति हैं. और इनमें से 101 भारत में हैं.

आपको जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ 42 लोगों के पास… दुनिया के 370 करोड़ गरीब लोगों के बराबर दौलत है. जबकि सिर्फ 61 लोगों के पास पूरी दुनिया की आधी जनसंख्या के बराबर दौलत है.

अब आप इस आर्थिक असमानता को उदाहरणों की मदद से समझिए.

बांग्लादेश में कपड़ों की फैक्ट्री में काम करने वाला एक मज़दूर अपने पूरे जीवन में जितना पैसा कमाता है, उतना पैसा दुनिया के किसी बड़े फैशन Brand का एक CEO सिर्फ 4 दिन में कमा लेता है. अमेरिका में एक मज़दूर जितना पैसा पूरे साल में कमाता है, उतना वहां का एक CEO सिर्फ 1 दिन में ही कमा लेता है.

आर्थिक असमानता की ये स्थिति पूरी दुनिया में है. इंडोनेशिया में सिर्फ 4 अमीर लोगों के पास ही वहां के 10 करोड गरीब़ लोगों के बराबर की दौलत है.
अमेरिका के 3 सबसे अमीर लोगों के पास वहां की आधी जनसंख्या यानी करीब 16 करोड़ लोगों के बराबर की दौलत है. ब्राज़ील में एक अमीर आदमी एक महीने में जितना कमाता है, उतना कमाने में एक मज़दूर को 19 साल लग जाते हैं.

अगले 20 वर्षों में दुनिया के 500 सबसे अमीर लोग 153 लाख करोड़ रुपये की दौलत अपने उत्तराधिकारियों को सौंप देंगे. और ये पूरी दौलत भारत के GDP से भी ज्यादा है. यानी दुनिया में विकास तो हो रहा है, लेकिन उसकी कीमत पूरी दुनिया के मज़दूरों को चुकानी पड़ रही है. International Labour Organization के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल 27 लाख मज़दूर, काम करते हुए.. हादसों में या फिर बीमारी से मारे जाते हैं. यानी पूरी दुनिया में हर 11 सेकेंड में एक मज़दूर की मौत हो रही है.

ये तो दुनिया की बात हुई, लेकिन भारत में भी हालात ठीक नहीं है. भारत में पिछले साल जितनी संपत्ति अर्जित की गई, उसका 73% हिस्सा सिर्फ 1% अमीरों ने कमाया. जबकि 67 करोड़ भारतीय लोगों की संपत्ति में सिर्फ 1% का इज़ाफा हुआ है. Oxfam के इस सर्वे में ये भी पता चला है कि भारत में 2017 में 1% अमीर लोगों की संपत्ति में 20 लाख 90 हज़ार करोड़ रुपये का इज़ाफा हुआ है. और ये भारत सरकार के कुल बजट के बराबर है.

भारत में एक Garment कंपनी का Top Executive एक साल में जितना पैसा कमाता है, उतना कमाने में एक मज़दूर को 941 साल लग जाएंगे. इस रिपोर्ट का शीर्षक है.. Reward Work, Not Wealth… यानी इसका भाव ये है कि काम को सम्मान दो, दौलत को नहीं. लेकिन दुनिया में ऐसा हो नहीं रहा है और दौलत का साम्राज्य अपनी जड़े बहुत गहराई तक जमा चुका है. असमानता के इस संकट को दूर करने के लिए एक ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण करना होगा, जो अमीरों और शक्तिशाली लोगों के लिए नहीं बल्कि आम लोगों के लिए काम करे.

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