मनमोहन सिंह बोले, किसानों की आय 2022 तक दोगुना करना संभव नहीं

मनमोहन सिंह बोले, किसानों की आय 2022 तक दोगुना करना संभव नहीं

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को बजट पेश होने के बाद कहा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुना करना तब तक संभव नहीं है जब तक कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 12 प्रतिशत तक नहीं पहुंच जाती.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को बजट पेश होने के बाद कहा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुना करना तब तक संभव नहीं है जब तक कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 12 प्रतिशत तक नहीं पहुंच जाती. पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘राजकोषीय घाटे में वृद्धि हुई है.’ इससे पहले, सिंह ने कहा यह देखना होगा कि सरकार अपने वादों को कैसे पूरा करेगी. उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं समझता कि मैं यह कह सकता हूं कि यह बजट चुनावों में फायदा हासिल करने की मंशा से पेश किया गया है, लेकिन मुझे इस बात की चिंता है कि वित्तीय अंकगणित में कुछ गड़बड़ है.

बजट घाटे को लेकर चिंता
पूर्व प्रधानमंत्री ने बजट पर यह भी कहा कि इस बजट में उनकी चिंता बजट घाटा (फिस्कल) को लेकर है. उन्होंने कहा कि सरकार यह पूरा कैसे करेगी, उन्हें इस बात की चिंता है. कांग्रेस नेता सिंह ने कहा कि सरकार ने किसानों को आगामी खरीफ मौसम से उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत रिटर्न देने के लिए फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की स्थापना के स्वामीनाथन फॉमरूला का कार्यान्वयन करने का वादा किया है. लेकिन इसका बजटीय प्रावधान कैसे होगा, यह भी विचारणीय है.

चुनावी बजट नहीं कहूंगा
उन्होंने कहा कि मैं इसे राजनीतिक बजट या चुनावी बजट नहीं कहूंगा. उन्होंने कहा कि मेरी चिंता आर्थिक स्थिति को मजबूत करने को लेकर है. रिफॉर्म बजट के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस शब्द का गलत इस्तेमाल काफी हुआ है. मनमोहन सिंह ने लंबे समय में आय की योजनाओं को कर के दायरे में लाने के मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं कहा. कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने बजट पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने सांसदों के वेतन में महंगाई को समय-समय पर जोड़ने के प्रावधान का स्वागत किया.

वेतन भोगियों के लिए भी राहत होती
पटेल ने कहा कि सांसदों को बार-बार अपना वेतन बढ़ाने के लिए वोटिंग करने की असहज स्थिति से राहत मिलेगी. हां, सरकार को इस बजट में वेतन पाने वालों के लिए भी राहत का प्रावधान किया जाना चाहिए था. वहीं कांग्रेस नेता रणदीप एस. सुरजेवाला ने बजट में किये गए तमाम घोषणा में पैसे के प्रावधान का उल्लेख न करने पर सवाल खड़े किये. खासकर बजट में 10 करोड़ गरीब परिवारों का पांच लाख रुपये तक स्वास्थ्य बीमा करने पर सवाल किया.

सुरजेवाला का कहना था कि यदि पांच करोड़ परिवार भी आधी राशि यानी 2.5 लाख रुपए का लाभ ले लें तो करीब 12.5 लाख करोड़ रुपये चाहिए. यह कुल बजट का 60 प्रतिशत है, लेकिन मोदी ने पैसे का प्रावधान किया ही नहीं है.

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