6 महीने पहले ही तय हो जाता है बजट में किसको मिलेगा क्या, जानिए क्यों?

6 महीने पहले ही तय हो जाता है बजट में किसको मिलेगा क्या, जानिए क्यों?

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अब बजट पेश होने में सिर्फ दो दिन बाकी हैं. 1 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली संसद में बजट पढ़कर सुनाएंगे कि किसको क्या मिला.

अब बजट पेश होने में सिर्फ दो दिन बाकी हैं. 1 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली संसद में बजट पढ़कर सुनाएंगे कि किसको क्या मिला. इससे पहले सरकार लोगों की उम्मीदें, इंडस्ट्री से राय और अलग-अलग उद्योगों से मिलकर पूछते हैं कि उनकी क्या उम्मीदें हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि 6 महीने पहले तय होता है कि बजट में किसको क्या मिलेगा. दरअसल, आम बजट बनाने की प्रक्रिया काफी लंबी चलती है. इसमें 6 महीने से भी अधिक समय लगता है. इस प्रक्रिया में जबरदस्त गोपनीयता भी बरती जाती है. आइए जानते हैं अगस्त से लेकर बजट पेश होने तक कैसे चलती है पूरी प्रक्रिया-

अगस्त-सितंबर: कब और कैसे होती है शुरुआत
वित्त मंत्रालय के इकनॉमिक अफेयर्स डिपार्टमेंट का बजट डिवीजन अगस्त के आखिर में या सितंबर के शुरू होते ही बजट सर्कुलर जारी करता है. इस सर्कुलर में भारत सरकार और उसके सभी मंत्रालयों व विभागों से संबंधित कंटेंट और स्टेटमेंट का पूरा विवरण होता है, जिसके आधार पर बजट की रूपरेखा तैयार करनी होती है. सितंबर के आखिर तक अगले वित्त वर्ष के लिए सरकारी व्यय का अनुमानित आंकड़ा तैयार किया जाता है.

अक्टूबर-नवंबर: कैसे तय किया जाता है कि किन मंत्रालयों को कितना बजट देना है
हर मंत्रालय अपने लिए अधिक से अधिक फंडिंग चाहता है. इसके लिए प्रत्येक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी वित्त मंत्रालय के साथ काफी लंबी चर्चाएं और परिचर्चाएं करते हैं. इतनी बड़ी संख्या में मंत्रालयों और विभागों की वजह से यह प्रक्रिया नवंबर तक चलती है.

दिसंबर: फर्स्ट कट ऑफ बजट की तैयारी
दिसंबर आते ही बजट की पहली ड्राफ्ट कॉपी (इसे फर्स्ट कट ऑफ बजट कहा जाता है) को वित्त मंत्री के सामने रखा जाता है. फर्स्ट कट ऑफ बजट का पेपर लाइट ब्लू कलर का होता है. ऐसा कहा जाता है कि लाइट ब्लू कलर के पेपर पर ब्लैक इंक ज्यादा उभर कर सामने आता है.

जनवरी: सरकार और मंत्रालय के अलावा विभिन्न लोगों से ली जाती है सलाह
जनवरी में बैंक एसोसिएशंस, विभिन्न उद्योग समूहों के प्रतिनिधियों और जाने-माने अर्थशास्त्रियों से वित्त मंत्री की मीटिंग होती है. वित्त मंत्री सबकी सलाह सुनते हैं, हालांकि उस सलाह को बजट में शामिल करने या न करने का अंतिम फैसला उनके पास ही होता है.

आखिरी सप्ताह
बजट पेश होने से पहले के अंतिम सप्ताह में वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में मौजूद प्रेस में बजट दस्तावेजों की प्रिंटिंग होती है. बजट पेश होने के एक सप्ताह पहले तक 100 कर्मचारियों को बिल्कुल अलग-थलग करके रखा जाता है, ताकि कोई गोपनीय सूचना लीक न हो.

दो दिन पहले
बजट भाषण के दो दिन पहले प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के अधिकारी काम में लग जाते हैं. लगभग 20 अफसरों पर हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में प्रेस रिलीज बनाने की जिम्मेदारी होती है. बजट भाषण शुरू होने से पहले उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया जाता.

क्या होता है बजट के दिन
वित्त मंत्री संसद में बजट पेश करने से पहले भारत के राष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष बजट का संक्षेप पेश करते हैं. कैबिनेट को बजट भाषण से कुछ देर पहले संक्षिप्त ब्योरा दिया जाता है. इसके बाद बजट को संसद में रखा जाता है. सामान्यतः बजट दिन के 11 बजे संसद में रखा जाता है और वित्त मंत्री संसद को बजट के मुख्य बिंदुओं से अवगत कराते हैं.

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