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मुद्रास्फीति के जोखिम को बढ़ाचढ़ा कर दिखाया, RBI अगस्त में घटा सकता है ब्याज दर

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फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में प्रस्तावित बढ़ोतरी का मुद्रास्फीति असर मामूली रहेगा क्योंकि कई मामलों में बाजार कीमत कहीं अधिक है.

फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में प्रस्तावित बढ़ोतरी का मुद्रास्फीति असर मामूली रहेगा क्योंकि कई मामलों में बाजार कीमत कहीं अधिक है. बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोएफएमएल) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति के जोखिम को कुछ बढ़ाचढ़ाकर कर दिखाया जा रहा है. हालांकि जून तिमाही में मुद्रास्फीति बढ़कर 5.4 प्रतिशत पर पहुंच सकती है, लेकिन काफी हद तक यह आधार प्रभाव की वजह से होगा. बोएफएमएल के शोध नोट में कहा गया है कि एमएसपी में बढ़ोतरी का मुद्रास्फीतिक प्रभाव वास्तव में काफी सीमित रहेगा.

इसमें कहा गया है कि मोबाइल हैंडसेट, टीवी पैनल और प्रसंस्कृत खाद्य पर सीमा शुल्क वृद्धि का अधिक मुद्रास्फीतिक असर नहीं पड़ेगा. रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्याज दरों में कटौती संभवत: अगस्त में होगी, क्योंकि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) 2017 की तरह अच्छी बारिश का इंतजार करना चाहेगी.

वहीं दूसरी ओर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मध्यम वर्ग को आम बजट में कोई बड़ी राहत नहीं दिए जाने का बचाव करते हुए शुक्रवार (2 फरवरी) को कहा कि सरकार पहले के बजटों में इस वर्ग के लिए अनेक कदम उठा चुकी है. उन्होंने का कहा कि राजकोषीय गुंजाइश होने पर भविष्य में और राहत दी जा सकती है. बजट बाद आयोजित कार्यक्रम में जेटली ने कहा, ‘अनुपालन के लिहाज से भारत के समक्ष गंभीर चुनौतियां हैं. भारत के लिए एक गंभीर चुनौती कर आधार बढ़ाने की है. इस लिहाज से अगर आप मेरे पिछले 4- 5 बजटों को देखेंगे तो, मैंने व्यवस्थित तरीके से छोटे करदाताओं को लगभग हर बजट में राहत प्रदान की.’’

पूर्व में घोषित प्रमुख घोषणाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब यह सरकार सत्ता में आई तो वेतनभोगियों के लिये छूट सीमा दो लाख रुपये बढ़ाकर ढाई लाख रुपये की गई. बचत पर 50,000 रुपए की अतिरिक्त छूट दी गई जिससे यह छूट एक लाख से बढ़कर 1.5 लाख रुपए हो गई तथा आवास ऋण वापसी पर ब्याज भुगतान के लिए 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट के साथ इसे बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया गया. डॉक्टरों, वकीलों जैसे पेशेवरों के मामले में उन्होंने कहा कि सरकार ने 50 लाख रुपए तक की आय वालों के लिए कराधान को काफी सरल बनाया है.

उन्होंने कहा कि इस तरह के करदाताओं के मामले में अनुमानित कर योजना के तहत उनकी 50 प्रतिशत आय पर ही कर लगाया जाता है जबकि बाकी 50 प्रतिशत को उनका खर्च माना जाता है. दो करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले व्यापारियों के संबंध में उन्होंने कहा कि उनकी छह प्रतिशत को ही आय मानकर उसी हिस्से पर कर लगाया जाता है. जेटली ने कहा कि पिछले साल ही सरकार ने पांच लाख रुपये तक की व्यक्तिगत सालाना आय पर कर की दर को 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया.

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