बजट 2018: जॉब, लेबर रिफॉर्म्स और हेल्थ सेक्टर पर रहा सरकार का फोकस

बजट 2018: जॉब, लेबर रिफॉर्म्स और हेल्थ सेक्टर पर रहा सरकार का फोकस

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इस बजट में नई नौकरियों के अवसर पैदा करने के लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं.

मोदी सरकार के अंतिम पूर्ण बजट में जॉब, लेबर रिफॉर्म्स और हेल्थ सेक्टर को प्राथमिकता दी गई है.वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट पेश किया जो बिल्कुल लोकलुभावन नहीं है. इस बजट में नई नौकरियों के अवसर पैदा करने के लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं. 250 करोड़ सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों के कॉरपोरेट टैक्स को 30 से 25 प्रतिशत करना, सभी सेक्टर में कॉन्ट्रैक्ट लेबर को मंजूरी देना इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं. जानेमाने अर्थशास्त्री स्वामीनाथन अलंकेशयर अय्यर ने इकनॉमिक टाइम्स में लिखा है कि देश की 40 प्रतिशत आबादी के लिए हेल्थ इंश्योरेस का ऐलान दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थकेयर स्कीम है. हालांकि एकबार फिर बजट राजकोषिय घाटे को कम करने में नाकाम रहा है. वहीं लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से होने वाली कमाई पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाया गया है. पिछले बजट के दौरान अरुण जेटली ने राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था लेकिन बाद में इसमें बदलाव कर इसे 3.5 प्रतिशत कर दिया गया था.

मोदी ने दावोस में ही दे दिए थे संकेत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावोस में ही संकेत दिए थे कि बजट चुनावी नहीं होगा. यही कारण है कि इनकम टैक्स में कोई खास छूट नहीं दी गई है. बजट मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों पर फोकस है, रोजगार, खेती और हेल्थ. सरकार ने इस साल 70 लाख नौकरियां देने का लक्ष्य रखा है. वहीं नए कर्मचारियों के पीएफ फंड में भी सरकार 12 प्रतिशत का योगदान देगी. फिक्स टर्म लेबर कॉन्ट्रैक्ट को सभी क्षेत्रों में मंजूरी देना जॉब क्रिएट करने की दिशा में उठाए गए कदम हैं.

3.21 अरब रोजगार दिवस पैदा करने का लक्ष्य
कृषि और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्टचर की नई योजनाओं का उद्देश्य 3.21 अरब रोजगार दिवस के अवसर पैदा करना है. नई योजना के तहत गांवों में घर और सड़कें बनाना, स्वच्छता और बिजलीकरण शामिल है.

इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा
पिछले एक दशक से देश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी पर कटौती होती रही है. हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को अलग रास्ता अपनाते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स, खिलौने और ओटो पाट्स, फूड, टायर और कई कंज्यूमर आइटम पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दिया. यह अमेरिका के राष्ट्रपति की तरफ देश में जॉब क्रिएट करने को लेकर उठाए गए कदम की नकल करना है.

कॉरपोरेट टैक्स में छूट
वित्तमंत्री ने 250 करोड़ सालना टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स को 30 से 25 प्रतिशत कर दिया है. यह पिछले साल 50 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनियों पर लागू होता था. छोटे और मझोले इंडस्टी को बढ़ावा देने के लिए 2015 मे मुद्रा योजना की शुरुआत हुई थी जिसे विस्तार दिया गया है.

खेती से जुड़े क्षेत्र पर फोकस
चुनाव से पहले वित्त मंत्री किसानों की कर्जमाफी से बचे. हालांकि फसल के मिनिमम सपोर्ट प्राइस को 1.5 गुना करने का ऐलान किया है. सब्जियों के लिए ओपरेशन ग्रीन की शुरुआत की गई है. कृषि उत्पादों की बिक्री को ग्रामीण बाजार के लिए ई-नेम बनाने का एलान किया गया है, जिससे किसानों को उनकी फसलों का सही मूल्य मिल सके. फूड प्रोसेसिंग के बजट को दोगुना कर दिया गया है. वही राष्ट्रीय बांस मिशन के लिए भी बजट का प्रवाधान किया गया है. 22000 ग्रामीण हाट को भी अपग्रेड किया जाएगा जिससे किसान सीधे अपनी फसलों को बेच सकें.

हेल्थ के लिए बड़ा ऐलान
भारत में लंबे समय से हेल्थ सेक्टर पर सरकारी खर्च बहुत कम रहा है. जेटली ने अबतक के सबड़े बड़े हेल्थ स्कीम का एलान किया लेकिन इसके लिए मात्र 2000 करोड़ ही एलॉट किए. अगर हेल्थ सेस और राज्य सरकारों की ओर से खर्च होने वाले धन को भी मिला दें तो यह इस साल 8000 करोड़ से ज्यादा नहीं होगा. यह स्कीम केवल बड़ी बीमारियों के हॉस्पिटल खर्च को ही कवर करेगी. 50 करोड़ लोगों के इलाज के लिए इंफ्रास्ट्रक्टर ही मौजूद नहीं है. नहीं इतने बेड हैं, न डॉक्टर और न ही नर्स. इसके बावजूद इस दिशा में उठाया गया अच्छा कदम है.

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