आधार कार्ड की सुरक्षा को लेकर अंग्रेजी अखबार ‘द ट्रिब्यून’ की एक खबर ने पूरी तरह से तहलका मचा दिया है. इस खबर को करने वाली पत्रकार रचना खेड़ा पर एफआईआर दर्ज हुई, जिसके बाद सरकार को भी सफाई देनी पड़ी. अब इस मामले में इंटरनेट की दुनिया में अपने खुलासों से सभी को चौंकाने वाले कंप्यूटर प्रोफेशनल एडवर्ड स्नोडेन ने भी अखबार की इस रिपोर्ट का समर्थन किया है.
एडवर्ड स्नोडेन ने ट्वीट किया कि जिन पत्रकारों ने आधार लीक मामले को उजागर किया है वह अवॉर्ड के हकदार हैं, किसी जांच के नहीं. अगर सरकार इस मामले में सही में न्याय के लिए चिंताजनक है तो उन्हें अपनी आधार को लेकर नीतियों में सुधार करना चाहिए, जिन्होंने करोड़ों लोगों की निजता को खतरे में डाला है. उन्होंने लिखा कि अगर किसी को गिरफ्तार करना ही है तो वे UIDAI ही है.
The journalists exposing the #Aadhaar breach deserve an award, not an investigation. If the government were truly concerned for justice, they would be reforming the policies that destroyed the privacy of a billion Indians. Want to arrest those responsible? They are called @UIDAI. https://t.co/xyewbK2WO2
— Edward Snowden (@Snowden) January 8, 2018
आपको बता दें कि इससे पहले भी स्नोडेन ने आधार को लेकर चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने लिखा था कि भारत में आधार का गलत इस्तेमाल हो सकता है.
It is the natural tendency of government to desire perfect records of private lives. History shows that no matter the laws, the result is abuse. https://t.co/7HSQSZ4T3f
— Edward Snowden (@Snowden) January 4, 2018
गौरतलब है कि अंग्रेजी अखबार ‘द ट्रिब्यून’ की रिपोर्टर रचना खेड़ा ने अपनी रिपोर्ट में यह उजागर किया था कि किस तरह चंद रुपयों के लिए करोड़ों आधार कार्ड की जानकारी को बेचा जा रहा है. इस खबर के बाद से ही लगातार आधार की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे थे. यूआईडीएआई की ओर से अखबार और रिपोर्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की आलोचना की जा रही थी.
रविशंकर ने क्या किया ट्वीट
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस मामले में सोमवार को ट्वीट कर सफाई दी. उन्होंने ट्वीट किया कि सरकार प्रेस की आजादी के लिए तत्पर है और आधार की सुरक्षा पर भी नज़र बनाए हुए है. जो एफआईआर दर्ज की गई है, वह अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ है. हमने UIDAI को कहा है कि वह अखबार ट्रिब्यून से और रिपोर्टर से खबर से जुड़े सभी तथ्य हासिल करे. और अधिकारियों की जांच करें.
Govt. is fully committed to freedom of Press as well as to maintaining security & sanctity of #Aadhaar for India's development. FIR is against unknown. I've suggested @UIDAI to request Tribune & it's journalist to give all assistance to police in investigating real offenders.
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) January 8, 2018
क्या था रिपोर्ट में?
पत्रकार रचना खेड़ा की ओर ‘द ट्रिब्यून’ ने दावा किया था कि उसने एक व्हाट्सएप ग्रुप से मात्र 500 रुपए में आधार का डाटा हासिल करने वाली सर्विस खरीदी और उनको करीब 100 करोड़ आधार कार्ड का एक्सेस मिल गया. अखबार ने कहा कि इस दौरान उनको लोगों के नाम, पता, पिन कोड, फोटो, फोन नंबर और ईमेल आईडी की जानकारी मिली थी.
अखबार के मुताबिक उनकी तहकीकात में उन्हें एक एजेंट के बारे में पता लगा. जिसके बाद एजेंट ने केवल 10 मिनट में ही एक गेटवे दे दिया और लॉग-इन पासवर्ड दिया. उसके बाद उन्हें सिर्फ आधार कार्ड का नंबर डालना था और किसी भी व्यक्ति के बारे निजी जानकारी आसानी से मिल गई.
इसके बाद 300 रुपये अधिक देने पर उन्हें उस आधार कार्ड की जानकारी को प्रिंट करवाने का भी एक्सेस मिल गया. इसके लिए अलग से एक सॉफ्टवेयर था. अखबार ने कहा कि इस दौरान उनको लोगों के नाम, पता, पिन कोड, फोटो, फोन नंबर और ईमेल आईडी की जानकारी मिली थी.
कौन हैं स्नोडेन ?
अपने खुलासों से सबको चौंकाने वाले एडवर्ड स्नोडेन मास्को में रहते हैं. वो अमेरिकी एनएसए के लिए काम कर चुके हैं. फेमस कंप्यूटर प्रोफेशनल स्नोडेन को एनएसए संबंधित गुप्त जानकारी लीक करने के आरोपों के बीच अमरीका से पलायन कर गए थे. उन्हें अमेरिका ने भगोड़ा घोषित किया हुआ है.