इकोनॉमिक सर्वे 2017-18: बुनियादी ढांचे के विकास के लिए चाहिए 4500 अरब डॉलर

इकोनॉमिक सर्वे 2017-18: बुनियादी ढांचे के विकास के लिए चाहिए 4500 अरब डॉलर

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आर्थिक समीक्षा 2017-18 के अनुसार वैश्विक बुनियादी ढांचा परिदृश्य के हिसाब से बढ़ते आय स्तरों व आर्थिक संपन्नता से अगले 25 साल में भारत में बुनियादी ढांचे के लिए मांग और बढ़ने की उम्मीद है.

आर्थिक समीक्षा के अनुसार भारत को अपने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अगले 25 साल में लगभग 4500 अरब डालर की जरूरत होगी जिसमें से वह लगभग 3900 अरब डॉलर जुटा लेगा. संसद में सोमवार (29 जनवरी) को पेश आर्थिक समीक्षा 2017-18 के अनुसार वैश्विक बुनियादी ढांचा परिदृश्य के हिसाब से बढ़ते आय स्तरों व आर्थिक संपन्नता से अगले 25 साल में भारत में बुनियादी ढांचे के लिए मांग और बढ़ने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है, ‘भारत को अपनी आर्थिक वृद्धि को बल देने व सामुदायिक कल्याण के लिए बुनियादी ढांचे के विकास हेतु 2040 तक 4500 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी.’

इसके अनुसार मौजूदा रुख के हिसाब से भारत 4500 अरब डॉलर में से बुनियादी ढांचे के लिए 3900 अरब डॉलर जुटा सकता है. इसके अनुसार 2040 तक भारत के बुनियादी ढांचा निवेश में अंतर का संचयी आंकड़ा लगभग 52.6 करोड़ डॉलर रहेगा. इसके अनुसार निवेश की जरूरत व उपलब्धता में अंतर आने वाले वर्षों में बढ़ सकता है. इस अंतर को पाटने के लिए निजी क्षेत्र से निवेश के साथ साथ एनआईआईबी, एआईआईबी व न्यू डेवलपमेंट बैंक जैसे वित्तीय संस्थानों से निवेश जुटाने की जरूरत बतायी गई है.

समीक्षा के अनुसार देश में परिवहन का मुख्य माध्यम सड़क है जिसका राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है. देश में सड़कों की लंबाई 2001 में 33.73 लाख किलोमीटर थी जो बढ़कर 57.17 लाख किलोमीटर हो गई है. इसी अवधि में वाहन चार गुना बढ़कर 22.9 करोड़ हो गए. इसमें कहा गया है कि भारत में सड़क घनत्व 1.66 किलोमीटर प्रति वर्ग किलोमीटर है जो कि जापान, अमेरिका, चीन, ब्राजील व रूस की तुलना में अधिक है. हालांकि भूतल सड़कों की लंबाई सड़कों की कुल लंबाई का 61 प्रतिशत है जो कि ब्रिटेन, कोरिया, रूस व चीन से कहीं कम है.

​इसके अनुसार सितंबर 2017 तक विभिन्न क्षेत्रों में 1263 मौजूदा परियोजनाओं पर निगरानी रखी जा रही थी जिनमें से 482 सड़क परिवहन व राजमार्ग परियोजनाएं हैं. इनकी कुल लागत 3,17,373.9 करोड़ रुपये है. रेलवे के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि इसे परिवहन के अन्य माध्यमों से कड़ी स्पर्धा का सामना करना पडत्र रहा है और सरकार रेलवे को पटरी पर बनाए रखने के लिए अनेक रूपांतरणकारी कदम उठा रही है. मेट्रो रेल के बारे में इसमें कहा गया है कि दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, जयपुर, लखनउ व कोच्चि शहरों में 425 किलोमीटर लंबी मेट्रो प्रणालियां कार्यरत हैं. इसके अनुसार दूर संचार क्षेत्र में भारत नेट और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रम भारत को एक डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदल देंगे. सितम्बर, 2017 के अंत तक कुल मोबाइल कनेक्शन की संख्या 120.704 करोड़ थी.

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